सांप्रदायिक और समाज को बांटने वाले बयान पर भड़के छात्र

अनुराग ठाकुर को झेलना पड़ा छात्रों का विरोध

प्रहरी संवाददाता/पुणे। गुरुवार को केंद्रीय सूचना (Central Information) और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर पुणे के भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) के दौरे पर थे। इस दौरान उन्हें वहां छात्रों का विरोध झेलना पड़ा। कैंपस में छात्र लगातार उनके खिलाफ हाथों में पोस्टर्स और बैनर लेकर नारेबाजी करते रहे।

छात्रों का कहना था कि पिछले दिनों अनुराग के कुछ बयान सांप्रदायिक और समाज को बांटने वाले थे। इसके अलावा वे इंस्टिट्यूट (Institute) में हर साल बढ़ने वाली फीस का भी विरोध कर रहे थे। इस विरोध प्रदर्शन काे छात्र संघ ने भी समर्थन दिया।

मंत्रालय से मिली थी फंड कम करने की धमकी

अनुराग के कैंपस आने का विरोध कर रहे छात्रसंघ ने कहा, ‘हम उनकी राजनीतिक विचारधारा और उनके पिछले कार्यों का विरोध कर रहे थे। उनके आने से पहले छात्रसंघ के अध्यक्ष और महासचिव को I&B मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अपूर्व चंद्रा से सीधी धमकी मिली थी कि अगर हम प्रदर्शन करते हैं तो मंत्रालय संस्थान के लिए फंड कम कर देगा और छात्र कल्याण योजनाओं को बंद कर देगा। यह हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए खतरा है।’

छात्रों ने मंत्री के खिलाफ किया मौन प्रदर्शन

विरोध करने वाले छात्र मंत्री से मिल कर अपनी परेशानी बताना चाहते थे। ठाकुर पर छात्रों से सही ढंग से बात नहीं करने का आरोप लगा है। इसे लेकर मंत्री के कैंपस में आने के बाद स्टूडेंट्स (Students) ने उनके खिलाफ मौन प्रदर्शन किया।

बार-बार अनुरोध और अध्यक्ष से गुहार लगाने के बाद, उन्हें अनुराग से सिर्फ 2 मिनट के लिए अनौपचारिक तरीके से मिलने की अनुमति दी गई। उन्होंने अपनी बात कागज पर लिखकर अनुराग के सामने रखी। हालांकि, उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की। बल्कि उलटा उन्हें अनुराग के गुस्से का सामना करना पड़ा।

अनुराग ठाकुर तकरीबन एक घंटे तक कैंपस में रहे, इस दौरान उन्होंने फिल्म निर्माण की बारीकियां समझी।अनुराग ठाकुर तकरीबन एक घंटे तक कैंपस में रहे, इस दौरान उन्होंने फिल्म निर्माण की बारीकियां समझी।

ठाकुर की सोच का संस्थान पर पड़ रहा प्रभाव: छात्रसंघ

इससे पहले छात्रसंघ की ओर से गुरुवार सुबह कहा गया, “अनुराग ठाकुर को पिछले साल सूचना और प्रसारण मंत्री नियुक्त किया गया था, जिस मंत्रालय के तहत हमारा संस्थान चलता है। उनकी सोच का प्रभाव उन फैसलों पर सीधे पड़ता जो हमारे लिए हैं।

हमारी एकेडमिक काउंसिल (Academic Council) को रद्द कर दिया गया है और हमारी परेशानी को सुनने के लिए किसी के पास समय नहीं है।”छात्र अनुराग ठाकुर के पहले दिए बयानों का विरोध कर रहे थे। चूँकि हर साल 5 % फीस बढ़ा रहा है।

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