एस. पी. सक्सेना/बोकारो। बोकारो जिला (Bokaro district) में इनदिनों अवैध धंधेबाजो की चांदी कट रही है। अवैध धंधेबाज दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं। यह ऐसे हीं संभव नहीं बल्कि प्रशासनिक लापरवाहियों के कारण संभव हो पा रहा है। यह हम नहीं बल्कि प्रस्तुत तस्वीर खुद-ब-खुद बयां कर रहा है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बोकारो जिला के हद में गोमियां प्रखंड के झिड़की एवं सरहचिया के जंगल क्षेत्र के अलावा दारीदा के जंगल में दर्जनों इस प्रकार का नजारा आम हो गया है, जहाँ अवैध कोयला तस्कर बेखौफ खुले आसमान के निचे कोयला जमा कर रात के अंधेरे में बड़े-बड़े ट्रको से डेहरी और बनारस की कोयला मंडियों में बेचकर लाखो-करोड़ो के अकूत संपत्ति के मालिक बनते जा रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि इन धंधेबाजो को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त नहीं है। ऐसे धंधेबाज राजनीतिक संरक्षण की बदौलत और प्रशासन की लापरवाही की वजह से हीं किसी को भी खुलेआम धमकी देने से भी नहीं हिचकते हैं।
उक्त तस्वीर झिड़की के जंगल के समीप का बताया जा रहा है, जहां कोयला तस्कर द्वारा कथारा क्षेत्र के कथारा कोलियरी तथा वाशरी से अपने माताहतो के जरिये उक्त कोयला को जमाकर तिरपाल से ढक दिया है, ताकि किसी की नजर इसपर नहीं पड़ सके। इस संबंध में सीसीएल अधिकारी से संपर्क करने पर कहा जाता है कि स्थानीय पुलिस द्वारा उन्हें सहयोग नहीं मिल रहा है।
अधिकारी द्वारा नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया गया कि उच्च पुलिस अधिकारी से संपर्क करने पर स्थानीय पुलिस से बात करने का निर्देश दिया जाता है। इस बावत क्षेत्र के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि इस प्रकार का नजारा बोकारो जिला के हद में बेरमो अनुमंडल के गोमियां, पेटरवार, बेरमो, नावाडीह, चंद्रपुरा तथा दुग्दा प्रखंड का शायद हीं कोई थाना क्षेत्र होगा जहां नहीं दिखेगा।
मानवाधिकार कार्यकर्ता के अनुसार कोयला तस्करो को स्थानीय पुलिस का संरक्षण प्राप्त है। बहरहाल सच्चाई तो जांच के बाद ही सामने आएगा। सवाल है कि जांच करेगा तो कौन?
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