राशन के लिए लाभूको को टिले पर जाकर मशीन में देना पड़ रहा है उंगलियों के निशान
प्रहरी संवाददाता/बोकारो। केंद्र सरकार (Central Government) की डिजिटल इंडिया का नारा बोकारो जिले में महज दिखावा बनकर रह गया है।
उपरोक्त तस्वीर देखकर आप सहज हीं अंदाजा लगा सकते हैं कि एक साथ इतने सारे ग्रामीण रहिवासी एक झाड़ी भरे टिले पर क्या कर रहे हैं। जरुर कोई ऐसी वैसी बात होगी। जानकारी के अनुसार सभी रहिवासी सरकारी राशन पाने के लिए यहां जमा हुए हैं।
जानकारी के अनुसार बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में नावडीह प्रखंड के पेंक स्थित सरकारी राशन पाने के लिए पीडीएस दुकानदार के साथ ये लोग इस झाड़ी भरे पहाड़ी नुमा टिले पर एकत्र हुए हैं। इस जमावड़े की हकिकत यह है कि नावाडीह प्रखंड के पेंक पंचायत जहां बीएसएनएल नेटवर्क का घोर अभाव है, जिस कारण इन्टरनेट सेवा बुरी तरह प्रभावित है।
ज्ञात हो कि, सरकारी राशन पाने के लिए लाभूको को अपनी उंगलियों का निशान मशीन में देना पड़ता है। इसके बाद ही डिलर लाभूको को राशन देते है। मगर यहां इन्टरनेट सेवा काफी बदहाल है, इसलिए लाभूको की भीड़ को लेकर जनवितरण प्रणाली के डिलर गांव के ऊँचे स्थान पर पहुंचकर इन्टरनेट सेवा की उम्मीद में रहते हैं।
यहां पहुंचकर लाभूक एक हाथ से डंडे में बंधे पॉस मशीन के एरियल को उपर उठाता है, दुसरे हाथ से अपनी उंगलियों के निशान मशीन मे लगाता है। सौभाग्य से अगर नेटवर्क उस समय मिल गया तो बल्ले बल्ले, नही तो फिर बैरंग लौटना पड़ता है।
यह घटना जहां एक ओर केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया को मुंह चिढ़ता है, वही दुसरी ओर यह दर्शाता है कि आज भी कई गांव ऐसे है जहां इन्टरनेट सेवा पुरी तरह चौपट है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोविड काल में ऑनलाइन पढ़ाई यहां के बच्चे किस तरह और कितना किए होगे।
अजीब विडम्बना है कि एक ओर केंद्र और राज्य सरकार डिजिटल इंडिया और हर काम ऑनलाइन (Online) करने के विकास का दंभ भरते नही अधाते, वहीं दुसरी ओर यह तस्वीर काफी विचलित करती है कि अभी भी झारखंड के बहुत सारे गांव ऐसे है जहां विकास की जरूरत है।
उसके बाद ही डिजिटल की बाते सत्य साबित हो सकेगी। कुल मिलाकर यहां यह कहना गलत नहीं होगा, कि सरकारे आती और चली जाती है मगर ग्रामीणों की समस्या जस की तस बनी रहती है।
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