मुंबई। विधान परिषद की एक सीट के लिए गुरुवार को हुए उप चुनाव के नतीजे इस बात का संकेत हैं कि अगर शिवसेना सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेती है तब भी सरकार अल्पमत में नहीं आएगी। चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार प्रसाद लाड को 209 मत मिले हैं। अगर इसमें से शिवसेना के 62 वोट निकाल दिए जाएं तो भी बीजेपी के पक्ष में 147 विधायकों का समर्थन दिखाई देता है। यह ‘मैजिक फिगर’ 145 से दो वोट ज्यादा हैं।
इसके बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि बीजेपी के अपने 122 विधायकों के अलावा जिन 25 अन्य विधायकों ने प्रसाद लाड को मत दिया है, वह मत मुख्यमंत्री की ताकत से आए हैं या फिर प्रसाद लाड ने इन वोटों का ‘जुगाड़’ किया है। इन 25 में से राणे समर्थक दो कांग्रेसी वोट और एनसीपी के रमेश कदम का वोट निकाल भी दिया जाए तो बकाया 22 विधायक ऐसे हैं जिन्होंने इस चुनाव में सरकार का साथ दिया है। शायद यही वजह है कि शिवसेना सरकार से समर्थन वापस लेने का साहस नहीं कर पा रही।
वैसे भी मुख्यमंत्री पहले ही यह कह चुके हैं कि अगर शिवसेना सरकार से समर्थन वापस ले भी लेती है तो सरकार को थामने के लिए ‘अदृश्य हाथ’ तैयार है। चर्चा है कि विधानसभा चुनावों के नतीजे के रूप में सरकार ने अपने इन्हीं अदृश्य हाथों की ताकत का प्रदर्शन तो नहीं किया? वैसे राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि विधान परिषद के ‘गुप्त मतदान’ में साथ देना और खुलकर सरकार का समर्थन करने में जमीन आसमान का अंतर है।
खबर यह है कि क्रॉस वोटिंग करने वाले ज्यादातर विधायक एनसीपी के हैं। इसके पीछे यह भी तर्क दिया जा रहा है कि प्रसाद लाड बीजेपी में आने से पहले एनसीपी में थे और उन्होंने अपने पुराने संबंधों के आधार पर अपने लिए अतिरिक्त मतों की ‘जुगाड़’ की है।
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