बदहाल है हाजीपुर का सदर अस्पताल

कुकुरमुत्ते की तरह सैकड़ो नर्सिंग होम आबाद

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। चौबीस लाख की आबादी वाले वैशाली जिला (Vaishali District) और दो लाख की आबादी वाले हाजीपुर शहर के नागरिको के स्वस्थ्य सुविधा के लिये हाजीपुर में एक मात्र सरकारी सदर अस्पताल (Government Sadar Hospital) है, जो खुद बीमार रहता है। बरसात के दिनों में अस्पताल परिसर में जल जमाव भी एक समस्या है।

ज्ञात हो कि हाजीपुर सदर अस्पताल में डॉक्टरों की सुविधा और भवन भी बढ़े, लेकिन जिले की एक बड़ी आबादी के साथ सारण जिले के सोनपुर, परसा, अमनौर आदि से आने वाले मरीजों की वजह से यहां इलाज के लिए मरीजों की काफी भीड़ रहती है।

अस्पताल के डॉक्टर द्वारा इलाज के नाम पर ज्यादातर मरीजों को पीएमसीएच (PMCH) या पटना के दूसरे अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। जिस वजह से हाजीपुर शहर में निजी नर्सिंग होम और अस्पताल कुकुरमुत्ते की तरह खुले हुये हैं।

हाजीपुर में जितने भी नर्सिंग होम खुले हुए हैं, उनमें आधे से अधिक दबंगो द्वारा अस्पताल का साइन बोर्ड लगा कर धंधा किया जा रहा है। जहाँ मरीज आने पर किसी डॉक्टर को कॉल कर उसे दिखा दिया जाता है। फिर ट्रेंड या अनट्रेंड नर्स, कम्पाउंडर (Compounder) उस मरीज का इलाज करते हैं।

हाजीपुर में चल रहे अधिकांस नर्सिंग होम न तो निबंधित है, और न सरकारी मानकों को पूरा करते हैं। बताया जाता है कि हर नर्सिंग होम का दलाल है, जो सदर अस्पताल के आस पास चक्कर काटता रहता है। इलाज के लिये अस्पताल आने वाले मरीजों को अच्छा इलाज के नाम पर इन नर्सिंग होम में पहुंचा देता है।

सोनपुर परसा से आने वाले मरीजों को टेम्पु वाले जौहरी वाजार स्थित किसी न किसी नरसिंग होम में बेहतर इलाज के नाम पर पहुंचा कर अपना इनाम ले लेते हैं।

एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि ज्यादातर नर्सिंग होम में पटना के डॉक्टर दिन में आते हैं और शाम में चले जाते हैं। ऑपरेशन ओर गम्भीर मरीज रात्रि में सिर्फ कम्पाउंडर, नर्स के भरोसे रहते है।

जिसका नतीजा रात्रि में गम्भीर रूप से बीमार मरीज या ऑपरेशन वाले मरीज की स्थिति खराब होने पर देखने वाला कोई नही होता है। आये दिन इन नरसिंग होम में ईलाज में लापरवाही की वजह से होने वाली मौत की वजह से हमेशा बबाल होते रहता है। लेकिन ये नर्सिंग होम वाले स्थानीय नेताओं और पुलिस की मदद से मामला सलटा लेते हैं।

जानकारी के अनुसार बीते 20 फरवरी को हाजीपुर एसडीओ रोड के पंकज कुमार की पत्नी मिलन देवी प्रसव के लिये जौहरी बाजार के मेट्रो इमरजेंसी अस्पताल में शाम में भर्ती हुई, लेकिन इलाज के दौरान जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गयी।

जिसको लेकर पंकज कुमार ने अस्पताल संचालक और डॉक्टर पर नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया, लेकिन यह मामला भी दो चार दिन में ठंढा हो जाएगा और हाजीपुर में ये धंधा चलता रहेगा। कुल मिलाकर हाजीपुर का सरकारी अस्पताल (सदर अस्पताल) जहाँ बदहाल है वहीं निजी नर्सिंग होम संचालक मालामाल हो रहे हैं, जबकि मरीजों की सुधि लेनेवाला कोई नहीं है।

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