मुंबई। मेट्रो प्रशासन को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने झटका दे दिया। मेट्रो द्वारा किराए में बढ़ोतरी के प्रपोजल को अदालत ने सोमवार को खारिज कर दिया है। इस मामले में खंड पीठ ने आदेश दिया है कि राज्य सरकार एक समिति बनाए जो 3 महीने में मेट्रो का किराया निर्धारित करे।
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि राज्य सरकार मेट्रो किराया निर्धारण के लिए समिति बनाए। यह समिति यात्रियों के किराए का निर्धारण 3 महीने में करे और कारण भी बताए। आपको बता दें कि हाई कोर्ट ने 2015 में भी किराए बढ़ाने के प्रस्ताव को रद्द कर दिया था।
हाई कोर्ट ने फिलहाल मुंबई मेट्रो के लिए वर्तमान किराया ही लागू रखने आदेश दिया है। मुंबई मेट्रो की दरों में बढ़ोतरी को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर और न्यायाधीश महेश सोनकर किराया बढ़ोतरी की रिपोर्ट किराया निर्धारण समिति और मुंबई मेट्रो प्राइवेट लिमिटेड से मांगी है।
वर्तमान समय में मुंबई मेट्रो के सफर के लिए यात्रियों को 10 से 40 रुपए तक किराया निर्धारित किया गया है। इन तय दरों में यात्री 11.4 किलो मीटर की यात्रा तय कर लेते हैं। इसमें वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर तक की यात्रा की जाती है।
मुंबई वन प्राइवेट लिमिटेड ने किराए में बढ़ोतरी करते हुए सिंगल यात्रा की दरें 5, 10, 20, 25, 35 और 45 रुपए करने की योजना बनाई है। यात्रियों के लिए वापसी की दरें 10, 20,22,22.50 और 35 निर्धारित किया है। साल 2015 में हाई कोर्ट ने मेट्रो किराए में बढ़ोतरी के प्रपोजल को रद्द कर दिया था।
मुंबई वन प्राइवेट लिमिटेड के अनुसार उन्हें प्रतिदिन 90 लाख रुपए का घाटा हो रहा है।
मेट्रो के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले तीन साल में मेट्रो को 1000 करोड़ का घाटा हो चुका है। यही वजह है कि मेट्रो प्रशासन किराए में बढ़ोतरी करना चाहता है। मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण का कहना है कि मेट्रो अग्रीमेंट में यह लिखा गया है कि किराए की दर 9 से 13 में ही रखा जाएगा। अगर किराए में बढ़ोतरी हुई तो यात्रियों की संख्या में कमी आ सकती है।
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