धीरज शर्मा/विष्णुगढ़ (हजारीबाग)। झारखंड भाषा संघर्ष समिति के आह्वान पर 11 फरवरी को विष्णुगढ़ में सड़कों पर जन सैलाब उमड़ पड़ा। हजारो की संख्या में महिलाएं, पुरुष व युवक हाथों में मशाल लिए सड़कों पर प्रदर्शन किया।
झंडे, बैनर, लाठी, डंडा लिए ग्रामीणों ने झारखंड (Jharkhand) में भोजपुरी, मगही नाय चलतो, 1932 के खतियान के लागू करे होतो। वीर शहीदो अमर रहे, बिनोद बिहारी महतो, टेकलाल महतो अमर रहे। हेमंत सोरेन मुर्दाबाद की नारेबाजी करते हुए विष्णुगढ़ की सड़कों पर प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर विष्णुगढ़ के काली मंडप स्थित मैदान में सभा में भाषायी आंदोलन के संस्थापक टाइगर जयराम महतो उपस्थित हुए। उन्होंने कहा कि मुंबई, गुजरात, बंगाल, तमिलनाडु आदि राज्य अपनी भाषा के बदौलत ही विकास किया है। झारखंड भी अपनी भाषा के बदौलत ही विकास करेगा। उन्होंने कहा कि भाषा की लड़ाई झारखंडियों की अस्मिता की लड़ाई है।
झारखंड के सभी नौकरियों पर झारखंड के लोगों का अधिकार हो। यह मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुंबई, कोलकाता, तमिलनाडु आदि राज्य अपनी भाषा के बदौलत ही विकास किया है। झारखंड भी अपनी भाषा के बदौलत ही विकास करेगा।
प्रतिभा विकास मंच के केन्द्रीय अध्यक्ष महेन्द्र कुमार ने कहा कि बाहरी भाषा को लागू कर हमारी भाषा, संस्कृति और सभ्यता पर हमला किया जा रहा है। यह हमलोग बर्दाश्त नहीं करेंगे।
जब तक भोजपुरी, मगही, अंगिका बाहरी भाषा को सरकार वापस नहीं लेती है, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। यहां विष्णुगढ़ प्रखंड के विभिन्न पंचायतों से हजारों की संख्या में बूढ़े बुजुर्ग, महिलाएं, पुरुष, नौजवान युवा जनप्रतिनिधि इत्यादि उपस्थित हुए।
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