बेरोजगार होते कलाकार
मुंबई। सर्कस कभी मनोरंजन का मुख्य साधन व केंद्र हुआ करता था, लेकिन आधुनिकता के इस युग में सर्कसों के कलाकार बेरोजगार और उसके मालिक बेसहारा होते जा रहे हैं। सर्कस के मालिकों की ये हालत है की वे दर्शकों के लिए तरस रहे हैं। क्योंकि अब उन्हें अपने कलाकारों के खर्च व जानवरों को पालना काफी महंगा पड़ रहा है।
एक दौर था कि मनोरंजन का मुख्य साधन सर्कस ही हुआ करता था, उस दौर में कमला सर्कस का बड़ा नाम था, 1965 से 1975 के दौर में कमला सर्कस भारत के अलावा दूसरे खाड़ी देशों में भी अपनी खास पहचान बनाई थी। बहरहाल मेलों का जिक्र जब भी जेहन में आता है तो सबसे पहले सर्कस की याद आती है। सर्कस को देखने के लिए खासतौर से लोग अपने पूरे परिवार के साथ जाते थे।
इतना ही नहीं मनोरंजन की चाह रखने वाले बड़े बूढ़े और बच्चे मेलों का साल भर इंतजार करते थे। तब बड़ी तादाद में सर्कस हुआ करते थे और सब के सब हाउसफुल रहा करते थे। मेले इनसे आबाद रहते थे। अब मेलों में घुमने का जमाना लद गया, जिसके कारण सर्कस भी वीरान पड़े रहते हैं। इनमें ज्यादातर बंद हो चुके हैं और कुछ बंदी के कगार पर हैं।
हालांकि कुछ ऐसे भी सर्कस हैं जो अलग-अलग शहरों में अपनी सीमित कलाबाजियों के साथ अपने वजूद को बनाए रखने के लिए लड़ रहे हैं। जिन सर्कसों के हंसोड़ (जोकर) कलाकार पहले खुद पर हंसते हुए अपने दर्शकों को हंसाते थे, आज उनकी अपनी हंसी भी जैसे सालों पीछे छूट गई है।
‘कहते हैं जानवरों बिना क्या सर्कस’
अपने जीवन के 23 साल सर्कस की अलग-अलग कंपनियों को देने वाले राजीव इन दिनों रैम्बो सर्कस में काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि जानवरों के संरक्षण के लिए आए कानून के कारण हाथी, शेर और भालू जैसे बड़े जानवर सर्कस से गायब हो गए हैं। पहले सर्कस के कलाकारों की इज्ज्त थी, लेकिन अब कलाकारों के सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गई है, वे बमुश्किल रोटी का जुगाड़ कर पाते हैं। हाउसफुल रहने वाले सर्कस में अब 20 प्रतिशत भी दर्शक नहीं आते।
‘बच्चों के लिए स्कूल था सर्कस’
रैम्बो सर्कस के मालिक सुजीत दिलीप कहते हैं कि उन्होंने सर्कस को कोलकाता से मुंबई स्थानांतरित करने में 30 लाख रुपये खर्च किए। पर अब लोगों की रुचि और नए नियमों की वजह से वह पैसा भी करीब-करीब डूब गया है। पहले बच्चे योगा के साथ-साथ कर्तब सीखने के लिए सर्कस में आया करते थे। बेहतर कलाबाजियां सीखते थे। लेकिन 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर सर्कस में आने की सरकारी पाबंदी लगने से वह भी बंद हो गया।
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