एचपी के एड-हॉक गैस उपकेंद्रों की मियाद कितनी?
मुश्ताक खान/ मुंबई। मानखुर्द (Mankhurd) का अनमोल गैस एजेंसी (Anmol Gas Agency) कैसे बना एड-हॉक ऑनेस्टी गैस सर्विसेस (Ad- Hawk Honesty Gas Services)? यह शोध का विषय है। एचपी के एलपीजी ऑनेस्टी गैस सर्विस को एड-हॉक (कामचलाऊ उपकेंद्र) का दर्जा दिलाने में मुंबई एलपीजी के पूर्व क्षेत्रीय प्रबंधक राकेश तिवारी का बड़ा हाथ है। उन्हीं के आशीर्वाद से चल रहे एड-हॉक ऑनेस्टी सर्विस को बहाल कराने में एमडीजी के सभी नियमों को ताक पर रख कर इस उपकेंद्र को बनाया गया था, जिसे मौजूदा अधिकारियों द्वारा सुचारू रूप से चलवाया जा रहा है। इस उपकेंद्र को चलवाने में राशनिंग विभाग के अलावा सबंधित विभागों का भरपूर सहयोग है। ऐसा सूत्रों का कहना है।
गौर करने वाली बात यह है कि एचपी के एलपीजी वेबसाइट के नियमों की छानबीन से पता चलता है कि किसी भी एजेंसी को लेने या उसे किसी दूसरे को देने अथवा बंद करने के लिए कई नियमों का कड़ाई से पालन करना पड़ता है। लेकिन यहां अचानक अनमोल गैस एजेंसी को एड-हॉक ऑनेस्टी गैस सर्विस बना दिया गया कैसे? क्या अनमोल गैस एजेंसी द्वारा सरेंडर किया गया था या उसे कराया गया? अनमोल गैस एजेंसी की जगह ऑनेस्टी गैस सर्विस को कैसे मिली, एजेंसी यह शोध का विषय है।
इस कड़ी में दिलचस्प बात यह है कि एड-हॉक (कामचलाऊ) तरीके से चलने वाले उपकेंद्रों की मियाद तय होती है। लेकिन मुंबई में इस तरह के तीन चार एड-हॉक उपकेंद्र वर्षों से चल रहे हैं। इसकी मियाद कब पूरी होगी और इनकी जगह कंपनी के शर्तों पर खरा उतरने वाले किसी नई एजेंसी को कब मौका मिलेगा? आखिर एचपी के अधिकारियों की मनमानी कब तक चलेगी? इस संबंध में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को पत्र भेजा जा रहा है, ताकि नियमों का पालन करते हुए एड-हॉक उपकेंद्रों की जगह किसी नई एजेंसी को बहाल किया जा सके।
बहरहाल मौजूदा समय में मानखुर्द के आगरवाड़ी स्थित बाल कल्याण नगरी स्कूल (Bal Kalyan Nagri), (जिसमें अनाथ और मासूम बच्चे पढ़ते हैं) के सामने टाटा पावर (Tata Power) का हाई वोल्टेज बिजली की सप्लाई है, वहीं एड-हॉक ऑनेस्टी गैस सर्विस की छोटी बड़ी रसोई गैस से भरे वाहनों को खड़ा किया जाता है। इससे एक तरफ हाई वोल्ट बिजली तो दूसरी तरफ रसोई गैस का खतरा इन छात्रों पर मंडरा रहा है। एमडीजी के नियमों से हट कर चल रही इस एजेंसी की शुरू से अब तक की जांच होनी चाहिए।
क्योंकि अनमोल गैस एजेंसी में पारिवारिक पार्टनर थे और होनेस्टी गैस सर्विसेस में भी कई अलग-अलग पार्टनर हैं। इस एजेंसी का गुमास्ता लाइसेंस, शॉप एन्ड स्टेब्लिशटमेंट, पब्लिक लीगल लायबीलिटी इंश्योरेंस (पीएलएलआई), विस्फोटक विभाग, अग्निशमन की परवानगी, कर्मचारियों पीएफ और पीसीसी, माप तोल विभाग, राशनिंग विभाग और इसके वाहनों की जांच बेहद जरूरी है।
सूत्रों से पता चला है कि चूंकि इन दोनों स्थानों पर एड-हॉक उपकेंद्र ने कब्जा कर रखा है अतः गोदाम नहीं होने की वहज से अब भी बाल कल्याण नगरी के सामने गैस सिलेंडरों से लदे वाहनों को खड़ा किया जाता है। जबकि प्राथमिक विद्यालय की तंग गेट से सटे होनेस्टी गैस सर्विस के कार्यालय की गली में रिलायंस का बिजली मीटर बावस भी लगा है। इस लिहाज से यहां कभी भी हादसा हो सकता है। ऐसे में अगर हादसा हुआ तो बच्चों की जान जा सकती है।
यहां के बाल छात्रों को बचाना मुश्किल ही नहीं नामुमकीन हो सकता है। एचपी की नीतियों का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन कर रही होनेस्टी गैस सर्विस की कारगुजारी पर जब एचपी के स्थानीय अधिकारी से पूछा गया तो यह जानकर हैरानी हुई कि उन्हें इस बात का पता ही नहीं है। विक्रय अधिकारी ने कहा,” पहले हमें इसकी जांच करनी होगी और तभी हम कुछ कह सकने की स्थिति में होंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर एड-हॉक उपकेंद्र पर कार्रवाई होती है या फिर मिली भगत जारी रहेगी।
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