मैनकाइंड फार्मा की दरिया दिली को सलाम

कोरोनाकाल में जान गंवाने वाले योद्धाओं के परिवारों को दिये 270 करोड़

मुश्ताक खान /मुंबई। कहते हैं दौलत वाले दिलदार नहीं होते, लेकिन यहां मैनकाइंड फार्मा (Mankind Farma) के मालिक राजीव जुनैजा ने इस मुहावरे को गल साबित कर दिया है। उन्होंने न केवल देश के महानगरों में बल्कि छोटे से छोटे कस्बों व सुदुर्ग क्षेत्रों में भी कोरोनाकाल के दौरान लोगों की सहायता करते हुए अपनी जान गंवाने वाले मृत योद्धाओं के पारिवारीक सदस्यों को सहयोग के रूप में नगद राशी दी है।

चेंबूर के स्टार पारेड (Star Parade) में विशेष कार्यक्रम के दौरान युनाईटेड मेडिकल एशोसियेशन (युएमए) के सहयोग से तीन मृतक डॉक्टरों के परिजनों को पांच-पांच लाख रूपये का चेक दिया है। मैनकाइंड फार्मा द्वारा मृतक डॉक्टरों को पांच लाख, पुलिस कर्मियों को तीन लाख, फार्मासिस्ट को तीन लाख और मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों में अबतक 270 करोड़ रुपये का योगदान किया जा चूका है।

गौरतलब है कि युएमए की शिनख्त पर गोवंडी के स्व. डॉ. टी एन शिंदे, स्व. डॉ. दिगंबर राजाराम पडवल और स्व. डॉ. विनोद मेहता को व्लर्ड हेल्थ आर्गानाइजेशन मुंबई रिज़न के डॉ. विकास ओसवाल और मनपा एम इस्ट के मेडिकल ऑफिसर हेल्थ डॉ. हरिशचंद्र नाउनी के हाथों पांच-पांच लाख रूपये का चेक सौंपा गया।

इस अवसर पर मैनकाइंड फार्मा के धनंजय शर्मा, मनोज जैन और गैरव सिंह के अलावा युएमए के अध्यक्ष डॉ. शफी ए खान, सचिव डॉ. जाहिद हुसैन खान, डॉ. आबीद सैय्यद, डॉ. खालीद शेख आदि डॉक्टरों का समूह मौजूद था। इसके बाद मैनकाइंड फार्मा द्वारा स्व. डॉ. अशफाक, स्व. डॉ. रंजीत सिंह और स्व. डॉ. अख्तर अंसारी के परिजनों को भी पांच-पांच लाख रूपये का चेक दिया गया।

उल्लेखनीय है कि दवा बनाने वाली मैनकाइंड फार्मा कंपनी ने आधिकारिक बयान में कहा कि वह मृतक डॉक्टरों, पुलिस अधिकारियों, फार्मासिस्टों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के परिवारों को पहले कोरोना काल में 100 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया था। जो महामारी के जंग में अपने जान की आहुती दे चुके हैं। बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान पिछले दो सालों से भारत सहित पूरी दुनिया में मौत का तांडव चलता रहा, इन दो सालों में लोगों ने इतिहास का सबसे बड़ा संकट देखा है।

कोरोना के कहर में कितने लोगों ने कम उम्र में समय से पहले ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया। संकट की इस घड़ी में जब चारों तरफ हाहाकार मचा था, तब कुछ लोग ऐसे थे जो बिना किसी स्वार्थ के लोगों की सेवा और इलाज कर रहे थे। इन्हीं योद्धाओं के लिए मैनकाइंड फार्मा के मालिक राजीव जुनैजा ने 270 करोड़ का योगदान दे कर यह साबित किया कि दौलत वाले दिलदार भी होते हैं।

इस कड़ी में दिलचस्प बात यह है कि कोरोनाकाल में कुछ ऐसे भी इंसान थे जो पर्दे के पीछे से इंसानियत की मदद कर रहे थे, इन्हीं में से एक नाम है मैन काइंड फार्मा का भी है। अपने नाम को सार्थक करते हुए इस कंपनी ने हर संभव तरीके से कोरोना काल में मदद की है।आंकड़ों के मुताबिक 2020 -21 में कोरोना की पहली लहर के दौरान मैन काइंड फार्मा ने 130 करोड़ रुपये इस महामारी से लड़ने के लिए अलग अलग जगहों पर बतौर सहयोग दिया।

इसमें 51 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया गया। देश की अलग अलग राज्य सरकारों को पीपीई किट और दवाएं दान की गई। इसके साथ ही जरूरतमंदों लोगों को राशन देकर उनकी मदद किया गया। पहली लाइन में खड़े होकर कोरोना से लोहा ले रहे योद्धाओं के हौसले को भी मैनकाइंड फार्मा ने झुकने नहीं दिया।

मैनकाइंड फार्मा द्वारा कोरोना काल में शहीद 296 पुलिस के परिवारों को लगभग 10 करोड़ और 200 शहीद डॉक्टरों के परिवारों के लिए 10 करोड़ रूपये सहयोग के तौर पर दिया। पिछले साल असम और बिहार में कोरोना के साथ साथ बाढ़ भी आफत बनकर आयी थी। इससे निपटने के लिए भी मैनकाइंड फार्मा ने हाथ बढ़ाया और असम सरकार और बिहार सरकार को बाढ़ राहत कोष में एक-एक करोड़ का दान दिया।

दूसरी लहर में कंपनी ने 140 करोड़ दिए

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब देश में हाहाकार मचा और उम्मीद टूटने लगी थी तब भी मैनकाइंड फार्मा ने कोरोना से जंग लड़ने के लिए 140 करोड़ रुपये दे चुका है। इसमें शहीद डॉक्टरों , पुलिसकर्मियों, नर्र्सों, फार्मासिस्टों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के परिवारों के लिए 100 करोड़ का फण्ड दिया गया है। दूसरी लहर के दौरान सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की मारामारी थी, इसे पूरा करने के लिए मैनकाइंड फार्मा ने ऑक्सीजन सिलेंडर और कंसनट्रेटर के लिए 40 करोड़ रुपये का सहयोग किया।

हाल ही में मैनकाइंड फार्मा ने कोरोना के खिलाफ लड़ने वाले सभी योद्धाओं की बहादुरी को सलाम करते हुए एक एंथम भी लॉन्च किया है। इस एंथम को मशहूर गायक सोनू निगम ने गाया और कंपोज़ किया। इस एंथम को लेकर कंपनी ने कहा कि यह राष्ठ्रवाद की भावना पैदा करता है और जरूरत के समय एक राष्ट्रिय गीत के तौर पर एक साथ खड़े होने गया जा सकता है ताकि इससे दूसरे लोग प्रेरित हों।

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