एस.पी.सक्सेना/बोकारो। इंटक (ददई गुट) से संबद्ध असंगठित मजदूर यूनियन द्वारा 23 दिसंबर को आहूत चक्का जाम आंदोलन अगले 15 दिनों तक के लिए टाल दिया गया है। उक्त जानकारी असंगठित मजदूर यूनियन के झारखंड प्रदेश महामंत्री संतोष कुमार आस ने दी।
उन्होंने बताया की 23 दिसंबर का चक्का जाम चूंकि 5 सूत्री मांग पर आधारित था, जिसमें मुख्य रूप से प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड (Private security guard) एवं क्लीनिंग मजदूर कथारा का मामला कंपनी स्तर का नीतिगत मामला है।
उन्होंने कहा कि इसे लेकर बीते 7 दिसंबर को सीसीएल मुख्यालय रांची के महाप्रबंधक कार्मिक एवं औद्योगिक संबंध उमेश सिंह के साथ बोकारो जिला के हद में कथारा स्थित जीएम सभागार में किया गया था। जहां उन्होंने आस्वस्थ किया था कि एक सप्ताह के भीतर डीपी और सीएमडी से वार्ता कर युनियन से वार्ता कराया जाएगा।
एक सप्ताह बाद भी प्रबंधन द्वारा वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किये जाने के कारण 17 दिसंबर को यूनियन द्वारा 23 दिसंबर को कथारा क्षेत्र का चक्का जाम की घोषणा की गई। उन्होंने कहा कि इसमें सीसीएल प्रबंधन की पूरी लापरवाही है।
आस ने बताया कि वार्ता को लेकर 20 दिसंबर को युनियन का एक प्रतिनिधिमंडल सीसीएल के सीएमडी से मिलने मुख्यालय रांची गया, लेकिन जीएम पीएंडआईआर द्वारा बताया गया कि सीएमडी और डीपी के मुख्यालय में नहीं रहने के कारण वार्ता संभव नहीं हो पाया है।
साथ ही प्रबंधन द्वारा कहा गया कि हमारी मांगों को नकारा नहीं जाएगा। उन्होंने बताया कि 22 दिसंबर की संध्या युनियन के केंद्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे राज्य के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता तथा सीसीएल प्रबंधन से हुई वार्ता में प्रबंधन द्वारा समस्या का जल्द समाधान करने की बातें कही गई।
केंद्रीय अध्यक्ष के आग्रह तथा पुनः वार्ता करने के आश्वासन तथा मजदूरों से प्राप्त सहमति के बाद उक्त चक्काजाम आंदोलन को 15 दिनों के लिए टाल दिया गया है, ना कि चक्का जाम आंदोलन स्थगित किया गया है।
उन्होंने प्रचार गाड़ी द्वारा गोमियां विधायक (MLA) के नेतृत्व में होने वाले चक्का जाम की घोषणा के संबंध में कहा कि चुकि प्रचार वाहन में यूनियन के कोई पदाधिकारी ना होकर केवल कार्यकर्ता थे। जिसमें विधायक समर्थक भी एक कार्यकर्ता थे।
जिनके द्वारा अनजाने में उक्त प्रचार किया गया। इस पर वे सख्त हैं और उक्त कार्यकर्ता को निष्कासित किया जाएगा। प्रबंधन द्वारा आंदोलन को दिशाहीन करने के प्रयासों के संबंध में उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षो से सारे मजदूर उनके नेतृत्व में एक साथ खड़े हैं।
ऐसे में प्रबंधन की कूटनीतिक चाल का उन मजदूरों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अब तो सीसीएल प्रबंधन की स्थिति मृग मरीच जैसी हो गई है। उन्होंने कहा कि नीतिगत मामला प्रबंधन का है, लेकिन इन नीतिगत मामलों का फैसला केंद्र सरकार के जिम्मे है।
केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को निजीकरण करने और मजदूरों की छटनी करने में लगी है। सीसीएल प्रबंधन केंद्र के नीति के समक्ष बंधा हुआ है। मौके पर महामंत्री के अलावा यूनियन के कथारा क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहम्मद जानी तथा सुरेंद्र सिंह उपस्थित थे।
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