जाएसटी का असर दिवाली की मिठाईयों पर
मुंबई। दीपावली के मौके पर मुंबईकरों को रंग बिरंगी और मिलावटी मिठाईयों से सावधान रहने का संकेत एफडीए के अधिकारियों ने दिया है। एफडीए ने मिलावटी खाद्य पदार्थो का व्यापार करने वालों के खिलाफ विशेष अभियान छेड़ रखी है। एफडीए की कमिश्नर डॉ. पल्लवी दराडे ने लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है। मिलावटी खाद्य पदार्थो के खिलाफ चले अभियान में एफडीए के अधिकारियों ने अब तक 2,44,888 किलोग्राम मिलावटी खाद्य जब्त किया है।
एफडीए की कमिश्नर डॉ. पल्लवी दराडे के अनुसार पूरे राज्य में मावा, तेल और घी के कुल 961 नमूने जब्त किये गए हैं। दीपावली के मौके पर लोगों का उत्साह बढ़ता जा रहा है। बाजार में अच्छी, महंगी और रंगीन मिठाइयों की दुकानों पर ग्राहकों की चहल-पहल बढ़ गई है, हालांकि महंगाई का असर मिठाईयों के दुकानों पर भी दिख रहा है। इसके बावजूद बाजार में बनारसी पान के लुक में टेस्टी मिठाई, काजू कतली, सेब के आकार की मिठाई, ड्राइफ्रूट व अन्य कई फ्लेवर की मिठाइयां उपलब्ध हैं।
दीपावली की तैयारी के लिए मुख्य बाजार दादर, मुलुंड, अंधेरी, चेंबूर और मस्जिद बंदर में खरीदारों की भीड़ बढ़ गई है। वहीं जीएसटी के कारण मिठाइयों के दाम आसमान छू रहे हैं। रोशनी और खुशियों के इस पर्व पर बाजार की रौनक के बीच मिलावट का कारोबार भी बड़े पैमाने पर फलता-फूलता जा रहा है। दीपावली में प्रयोग आने वाले घी, तेल, बेसन से लेकर सबसे अधिक बिकने वाली मिठाईयों में बड़े पैमाने पर मिलावट की जा रही है। यदि हम थोड़ी सी सावधानी बरते तो निश्चित ही मिलावट की कालाबाजारी से बचा जा सकता है।
फ्लेवर पर जीएसटी भारी
बाजार में मिठाई के नए-पुराने सैकड़ों फ्लेवर उपलब्ध हैं। स्ट्राबेरी, मलाई, बनारसी पान के लुक में बेहद टेस्टी मिठाई, काजू कतली, सेब के आकार की मिठाई, अंजीर, चाकलेट, ड्राइफ्रूट, रोजबेरी, आम, केसर, बेसन के लड्डू जैसी कई फ्लेवर का स्वाद लोगों को लुभा रही है। वहीं महंगाई की मार से मिठाई का स्वाद थोड़ा फीका पड़ रहा है। दुकानदारों का कहना है कि लोग हर साल की अपेक्षा इस बार कम खरीदारी कर रहे हैं। मिठाई पर 5 से 28 प्रतिशत का जीएसटी लगा है, जिसकी वजह से हर मिठाई के दाम 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है। मौजूदा समय में 380 से 1250 रुपए किलो के हिसाब से मिठाईयां बिक रही हैं। इस वर्ष मलाई पेड़ा, मिक्स मिठाई, ड्राइफ्रूट और चाकलेट फ्लेवर की अधिक मांग है।
मिलावट से सावधान
मिठाई में सिंथेटिक मावे (खोवे) का खेल किसी से छिपा नहीं है। इस मावे से रसगुल्ले, बर्फी जैसी तमाम मिठाई तैयार होती है। महंगी काजू कतली में भी मिलावट का खेल चल रहा है। सात सौ रुपए किलो की कीमत में बिकने वाली काजू कतली में भी काजू की जगह मूंगफली की गिरी मिलायी जा रही है। एक मिठाई बनाने वालों के अनुसार कुछ लोग काजू की जगह मूंगफली की गिरी पीसकर उसमें काजू का एसेंस लगाते हैं और चीनी की चाशनी में इस मिश्रण को मिलाकर काजू कतली तैयार कर बेच रहे हैं।
यानी कम लागत में बड़ा मुनाफा? यदि खरीददारी के समय थोड़ी सी सावधानी बरतें तो निश्चित ही मिठाइयों की गुणवत्ता पहचाना जा सकता है। अधिक चमक-धमक वाली मिठाई से बचें, मिठाई चख कर भी उसकी शुद्धता परखा जा सकता है, जहां तक संभव हो प्रतिष्टित दुकानदार से ही ऐसी चीजों की खरीददारी करें, क्योंकि प्रतिष्टित दुकानदार अपने ग्राहकों के साथ गुणवत्ता से कोई समझौता करने से परहेज करते हैं।
गौरतलब है कि दिवाली के दौरान दूध और मावा से निर्मित मिठाइयों की मांग कई गुना बढ़ जाती है। मांग को पूरा करने के लिए मुंबई के मिठाई व्यापारी पडोसी राज्य गुजरात से सैकड़ो टन मावा मंगवाते हैं। इसी का फायदा उठाकर हर साल शहर में नकली मावा की खेप मुंबई पहुंचाई जाती है।
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