मुंबई। दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक बरकरार रखने के बाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने अहम आदेश दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिहायशी इलाके में पटाखे बेचने पर रोक लगा दी है। अदालत ने प्रशासन को आदेश दिया है कि वो रिहायशी इलाके में पटाखे बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे।
बॉम्बे हाईकोर्ट का यह आदेश पटाखा जलाने के खिलाफ नहीं है, बल्कि सिर्फ रिहायशी इलाकों में बिक्री पर रोक के लिए है। बॉम्बे हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर ने न्यायाधीश वीएम कनडेश के पिछले साल के आदेश को बरकरार रखते हुए यह आदेश दिया है।
अब दिल्ली-एनसीआर के साथ ही मुंबई के रिहायशी इलाकों में पटाखों की बिक्री नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के ये आदेश दिवाली से पहले आए हैं। मालूम हो कि इस बार दिवाली 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखों की बिक्री पर 31 अक्टूबर तक रोक रहेगी। इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट देखना चाहता है कि पटाखों के कारण प्रदूषण पर कितना असर पड़ता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और भंडारण पर रोक लगाने वाले नवंबर 2016 के आदेश को बरकार रखते हुए यह फैसला सुनाया। न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके सिकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसले को बरकरार रखते हुए कहा, ‘हमें कम से कम एक दिवाली पर पटाखे मुक्त त्योहार मनाकर देखना चाहिए।’ अदालत ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध हटाने का 12 सितंबर 2017 का आदेश एक नवंबर से दोबारा लागू होगा यानी एक नवंबर से दोबारा पटाखे बिक सकेंगे।
मालूम हो कि पिछले साल भी कुछ बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में पटाखा बैन को लेकर अर्जी डाली थी। सुप्रीम कोर्ट में तीन बच्चों की ओर से दाखिल एक याचिका में दशहरे और दीवाली पर पटाखे जलाने पर पाबंदी लगाने की मांग की गई थी। इस अनूठी याचिका को दाखिल करने वाले इन बच्चों की उम्र महज छह से 14 महीने के बीच थी। यह पहला मामला है, जब ऐसा हुआ है कि बच्चे पटाखा बिक्री पर बैन लगाने के लिए कोर्ट के दरवाजे पर जा पहुंचे।
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