विद्युत आपूर्ति मामले में प्रबंधन ने खिंची वर्ग विभाजन की लकीर
एस.पी.सक्सेना/बोकारो। विश्व के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र का लोक उपक्रम महारत्न कोल इंडिया लिमिटेड की अनुसंगी सीसीएल (CCL) के बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में कथारा क्षेत्र के कोयला कर्मी एवं विस्थापित गांव के ग्रामीण जनता विगत दो महिने से अंधेरे में जीवन गुजारने को विवश हैं।
दूसरे शब्दों में यूं कहें कि सीसीएल का कथारा क्षेत्र अंधेर नगरी का पर्याय बन चुका है। ऐसे में यहां रह रहे रहिवासियों की स्थिति का स्वतः हीं आकलन किया जा सकता है।
एक ओर धरती का सीना चीरकर कोयला निकालकर देश को बिजली से रौशन करनेवाले मजदूर कॉलोनीयों एवं गावों के हजारो परिवार दशहरा, दीवाली, छठ, गुरु-पुर्णिमा, ईद और अब संभवतः क्रिसमस भी अंधेरे में बिताने को विवश हैं। वहीं ऑफिसर्स कॉलोनीयों में हर रात दिवाली की तस्वीर ने वर्ग विभाजन का सीधा उदाहरण पेश किया है।
इस संबंध में दर्जनों बार यहां के आम मजदूरों द्वारा बार-बार आग्रह किये जाने के बावजूद प्रबंधन के कानो में जूं तक नहीं रेंग रहा है। यदि जनता का यह आक्रोश भविष्य में विस्फोटक रुप ले ले तो जिम्मेवार कौन होगा?
यह एक ज्वलंत सवाल है। इस बावत पुछे जाने पर क्षेत्र के महाप्रबंधक एम के पंजाबी ने कहा कि बार-बार ट्रांसफार्मर में गड़बड़ी के कारण विद्युत समस्या है। उन्होंने कहा कि दो-चार दिनों में समस्या दूर कर लिया जायेगा।
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