अंगवाली में वर्ष 1878 से हो रही है काली माता की पूजा

पिछले 143 वर्षों से लगातार ग्रामीण कर रहे हैं माँ की आराधना

अजित जायसवाल/पेटरवार (बोकारो)। पेटरवार प्रखंड के हद में अंगवाली गांव में माँ काली की पूजा विगत 1878 ईसवीं यानि 143 वर्षों से होती आ रही है। पाथुरिया(जरीडीह) निवासी पांचू ठाकुर फिर निवारण ठाकुर उसके बाद उनके पुत्रों तथा वर्तमान में इसी परिवार की पुत्रबधू हीरा मुखर्जी नामक महिला के सानिध्य में माँ काली की आराधना होती आ रही है।

यहाँ पर प्रारंभिक दौर से ही बलि-प्रथा कायम है। बताते हैं कि शुरू से ही यहां के ग्रामीण पूजा समिति का गठन कर लोगों के सहयोग राशि से काली पूजा के आयोजन को आकर्षक बनाने का दायित्व निभाते आ रहे हैं।

रहिवासियों के सहयोग से ही ईंट की दीवाल व खपरैल से बनी माँ काली की मंदिर को आकर्षक एवं भव्यता का रूप दिया जा सका। प्रति वर्ष इस मंदिर परिसर में अमावस की रात पूजा के मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं दूसरे दिन मेले का आयोजन होता रहा है, पर बीते वर्ष से दूसरी बार कोरोना महामारी के माहौल में सभी सहमे हुए हैं।

प्रशासनिक निर्देश पर आयोजन को सादे तौर पर किये जाने का निर्णय लिया गया है। मालूम हो कि आगामी 4 नवंबर को मां की पूजा होनी है और मंदिर सहित परिसर की साफ-सफाई में अभी से सभी जुटे हुए हैं।

पूजा कमिटी के अध्यक्ष अनिल कपरदार, उपाध्यक्ष मुरारी रजवार, सचिव धर्मेंद्र कपरदार सहित पीतांबर कपरदार, दीपक रजवार, कुलदीप ठाकुर आदि अपने दायित्व निभा रहे हैं। वहीं गौरी नाथ कपरदार, शिवचरण, तारकेश्वर, संजय कपरदार, विदेशी रजवार, विकास, निमाईं, बसंत, रितेश, अशोक, प्रकाश, दीपक सोनी आदि ने व्यवस्था की कमान में योगदान दे रहे हैं।

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