तितिर स्तूप क्षेत्र के विकास को मिलेगा बढ़ाव
प्रहरी संवाददाता/सिवान (बिहार)। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की जन्मभूमि जीरादेई के तितिरा बंगरा क्षेत्र में पुरातात्विक और ऐतिहासिक संकेतों के मद्देनजर इसे पुरातात्विक स्थल घोषित करने की मांग लंबे अरसे से की जा रही थी।
तितिर स्तूप क्षेत्र में देशी विदेशी पर्यटकों के आने के क्रम को देखते हुए स्थानीय सांसद की मांग पर जिला प्रशासन (District Administration) ने ठेपहा और तितिरा बंगरा को टाउन प्लानिंग एरिया में शामिल करने के लिए अग्रेतर कारवाई का निर्देश जारी कर दिया है।
इसे लेकर बीते 29 सितंबर को सिवान के जिलाधिकारी अमित कुमार पांडेय की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सिवान जिला का मास्टर प्लान तैयार करने हेतु आयोजन क्षेत्र के सीमांकन के संबंध में बैठक आयोजित किया गया था।
इसमें जिले के सभी जनप्रतिनिधि शामिल थे। इस बैठक में स्थानीय सांसद कविता सिंह द्वारा तितिर बंगरा गांव में देशी विदेशी पर्यटकों के आने की बात बताते हुए ठेपहा गांव को टाउन प्लानिंग एरिया में शामिल करने की मांग की गई थी।
बैठक में प्रशासनिक पदाधिकारी, जिला विकास शाखा को सिवान की सांसद कविता सिंह के अनुरोध के मद्देनजर अग्रेतर कारवाई हेतु निर्देश दिया गया।
साथ हीं जीआईएस स्पेशलिस्ट/ अर्बन स्पेशलिस्ट को निर्देश दिया गया कि सिवान नगर परिषद के विस्तार की अधिसूचना के आलोक में जीरादेइ प्रखंड के ठेपहा और तितिर बंगरा गांव को भी शामिल करें। इस खबर के सामने आने पर ठेपहा और तितिर बंगरा क्षेत्र के स्थानीय निवासियों में हर्ष का माहौल देखा जा रहा हैं। स्थानीय रहिवासी सांसद सिंह के इस पहल के लिए उन्हें साधुवाद दे रहे हैं।
तीतिर स्तूप विकास मिशन के संथापक सदस्य सह शोधार्थी कृष्ण कुमार सिंह ने 8 अक्टूबर को बताया कि भारतीय पुरातत्व विभाग के परीक्षण उत्खनन में प्रचुर मात्रा में बौद्धकालीन पुरातत्विक अवशेष व शिलालेख मिला था।
उन्होंने बताया कि सहायक पुरातत्वविद शंकर शर्मा ने प्रतिवेदन में एनबीपी डब्लू (नॉदर्न ब्लैक पॉलिश् वेयर) एवं धूसर मृदभांड मिलने का साक्ष्य दिए है, जो पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से पांचवीं सदी के बीच की हो सकती है।
उन्होंने बताया कि तीतिर स्तूप का क्षेत्र प्राचीन समय में शहरी क्षेत्र था जिसमें सम्पन्न लोग निवास करते थे। शोधार्थी सिंह ने बताया कि के पी जयसवाल शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ जगदीश्वर पांडेय एवं पुरातत्वविद डॉ नीरज पांडेय के अनुसार चित्रित धूसर मृदभांड एवं एनबीपी जो काले रंग का पतला व हल्का होता है इसका काल 600 से 200 बीसी तक माना जाता है। शोधार्थी ने बताया कि इस स्थान पर प्रतिवर्ष वियतनाम, थाईलैंड, वर्मा, तिब्बत, श्रीलंका, बोधगया व महाराष्ट्र से बौद्ध भिक्षु आया करते है।
विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ठेपहा और तितिर बंगरा क्षेत्र के टाउन प्लानिंग एरिया में शामिल होने से जिले के मास्टर प्लान में इस क्षेत्र की विकास योजना को महत्व मिलेगा।
नगरीय विकास के लिए पर्याप्त संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित हो पायेगी। पर्यटकों के लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए भी पहल शुरू हो जाएगी। इन सबसे तितिर स्तूप क्षेत्र के विकास को विशेष तौर पर बढ़ावा मिलेगा।
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