एस.पी.सक्सेना/पटना (बिहार)। लोक पंच द्वारा आयोजित दशरथ मांझी नाट्य महोत्सव 2021-22 का 7 अक्टूबर को बिहार (Bihar) के पश्चिम चंपारण के राम नगर बिलासपुर गांव में शुरू कर दिया गया। उक्त जानकारी लोक पंच के सचिव मनीष महिवाल ने दी।
महिवाल के अनुसार 7 से 10 अक्टूबर तक दशरथ मांझी नाट्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें पहले दिन 7 अक्टूबर को बेटी वियोग का मंचन किया गया, जबकि 8 अक्टूबर को बेटी पढ़कर क्या करेगी, 9 अक्टूबर को संगीत संध्या गायन तथा 10 अक्टूबर को नाटक जोरू का गुलाम (Drama Joru ka Gulam) का मंचन किया जाएगा।
लोक पंच सचिव महिवाल के अनुसार नाटक बेटी वियोग अर्थात विधवा विलाप / बाल- वृद्ध विवाह “भिखारी ठाकुर” द्वारा लिखित नाटक है। जो समाज में हो रहे बाल-वृद्ध विवाह एवं समाज में हो रहे विसंगतियों का पर्दाफाश करता है। नाटक एक ग्रामीण परिवेश की कहानी है, जहां चटक और लोभा दोनों पति-पत्नी है। जिसकी एक प्यारी सी बेटी है।
दोनों पति-पत्नी पैसों की खातिर अपनी बेटी की शादी उसके उम्र के चार गुने उम्र के आदमी के साथ कर देते हैं। मां-बाप के जिद्द में आकर लड़की शादी तो कर लेती है, मगर अपने ससुराल जाकर वह खुश नहीं रहती है।
वहां उसके ऊपर काफी अत्याचार किया जाता है। ऐसे में समाज का वह भयावह चेहरा उभरकर सामने आता है जो स्त्रियों पर हो रहे अत्याचार को दर्शाता है। जो इंसानियत को शर्मसार कर देती है।
अपने पति के अत्याचार से परेशान चटक की बेटी भाग कर वापस अपने गांव चली आती है। ऐसे में उसके पीछे ससुराल वाले भी चले आते हैं और दोनों पक्षों में लड़ाई शुरू हो जाती है। फिर इस मसले को सुलझाने के लिए गांव के पंचों को बुलाया जाता है।
पंचायत होती है। जिसमें पंच कहते हैं कि आदमी जे चार पैसा के तरकारी कीने जाला तेकरो में ओकरा के समझावे के पड़ेला की चतुर आदमी से किनवहिया ना ठगा जयबा। और बेटी के वर के खोजे में बिना सोच-विचार कईले घर मकान देखकर लोग शादी कर देवेलन।
एहीं से बेटी के ब्याह सोच समझ के करे के चाही। अंत में चटक की बेटी को वापस ससुराल जाना पड़ता है। जाते-जाते बेटी कहती है कि मर जाईब लेकिन नैहरा के मुंह कबहुं न देखब। फिर चटक और उसकी मां को अपनी गलती पर पछतावा होता है। इसी अंत के साथ ये कहानी समाज को आइना दिखाती है।
महिवाल ने नाटक बेटी वियोग का पात्र परिचय के संबंध में बताया कि मंच पर सूत्रधार एक राहुल कुमार राज, सूत्रधार दो मोहम्मद आसिफ, पंडित की भुमिका में उज्जवल कुमार गुप्ता, दूल्हा नंद किशोर, दुल्हन उर्मिला यादव, चटक राहुल सिंह राठौर, लोभा दीपा दिक्षित, दूल्हा के बाप पियूष गुप्ता, सखी एक तूलिका भारती, सखी दो रूबी कुमारी, पहली गोतिया मासूम जावेद, जबकि दुसरे गोतिया की भुमिका में देव कुमार व् ग्रामीण कृष्णा देव ठाकुर नजर आये।
वहीं मंच से परे हारमोनियम वादक मो. जानी, ढोलक वादक मो. इमरान, संगीत एवं निर्देशक मो. जानी तथा नाद, पटना द्वारा प्रस्तुत उक्त नाटक ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा।
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