एस.पी.सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। गुरू महर्षि धौम्य एवं शिष्य आरूणि से लेकर डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शानदार परम्परा के वाहक शिक्षक दिवस आज एसी कमरे में बैठकर, केक काटकर गीत-गाना गाने, डांस करने, पुरस्कार लेने- देने, हैप्पी टीचर्स डे कहकर सेलिब्रेट करने मात्र का दिवस बनकर रह गया है।
उक्त बातें 5 सितंबर शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) के अवसर पर एक आलेख के माध्यम से शहर के संत पाल स्कूल की एमए-बीएड शिक्षिका सह महिला संगठन ऐपवा जिलाध्यक्ष बंदना सिंह ने कही।
उन्होंने कहा कि शिक्षक दिवस बेहतर शिक्षा के माध्यम गुरू-शिष्य परम्परा को मजबूत एवं निर्वाह करने का संकल्प दिवस है। शिक्षा हमारे अंदर के अंधेरे को दूर कर प्रकाश फैलाता है। यह विश्व का सबसे सशक्त माध्यम है।
इसे तमाम ग्रंथों में भी स्थान दिया गया है। सामान्य आदमी से लेकर राजे- रजवाड़े ने इसे सर्वोत्तम माना है। आज यह शानदार परम्परा समाप्ति के कागार पर है। आज सरकारी नीति के कारण शिक्षक को सम्मान के बदले अपमानित होना पड़ता है। कारपोरेट घराने से लेकर स्कूल का निजीकरण ने इसे चौपट करके रख दिया है।
महिला शिक्षिका सिंह ने कहा कि आज 5-6 हजार मासिक वेतन में निजी विद्यालय शिक्षक रखकर शिक्षक एवं छात्रों के भविष्य से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दिन भर स्कूल में सेवा देने के बदले मिला राशि से निजी स्कूलों के शिक्षक तक का परिवारिक खर्च भी पूरा नहीं हो पाता। नई शिक्षा नीति में इसे जगह भी नहीं दिया गया है।
उन्होंने इस दुर्व्यवस्था के लिए सरकार, छात्र, अविभावक के साथ स्वयं शिक्षक को भी दोषी माना है। उन्होंने कहा कि आज निजी स्वार्थ के कारण निजी विद्यालय, कोचिंग, कॉलेज आदि संस्थाओं के संचालक, शिक्षक शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित करने के बजाए अपने संस्थाओं को चमकाने के लिए संस्थान के अंदर केक काटने, गीत- गाने, डांस से लेकर सेलिब्रेट करने तक सिमट कर रह गया है।
बच्चों के अनुशासन पर उनका तनिक भी ध्यान नहीं होता। यूँ कहें तो समाज शिक्षा के नाम पर फूहड़ता की ओर बढ़ चला है। यही कारण है कि शिक्षक दिवस पर छेड़खानी तक की घटनाएं सामने आती रही है।
शिक्षिका बंदना ने कहा कि हमें फिर से गुरू महर्षि धौम्य और शिष्य आरुणि से लेकर शिक्षक से राष्ट्रपति बने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शानदार परम्परा को आगे बढ़ाने का चुनौती स्वीकारना होगा। इसके लिए उन्होंने स्कूल, कालेज, कोचिंग आदि संस्थानों में नैतिक शिक्षा की पढ़ाई को अनिवार्य करने की मांग की।
195 total views, 2 views today