साभार/ मुंबई। अगर समय पर इलाज मिल जाए तो हादसे के शिकार लोगों की जान बचाई जा सकती है। चाहे वो समंदर में डूब रहे किसी व्यक्ति को बचाकर किनारे पर लाकर उसे बचाने की जद्दोजहद हो या फिर आग की चपेट में आए, सड़क दुघर्टनाओं का शिकार बने या ट्रैफिक जाम में फंसे लोगों को वाहनों के शोर, धुएं और दमघोंटू माहौल में होने वाले घुटन और चक्कर से निकाल कर सुरक्षित जगहों तक पहुंचाने एवं मौके पर फर्स्ट ऐड देने की पहल, हर जगह सबसे पहले प्रभावितों तक पुलिस ही पहुंचती है।
मगर, मामूली जानकारी नहीं होने से पुलिसकर्मी चाहते हुए भी उन प्रभावितों को बचा नहीं पाते हैं, जिसके चलते उनकी मौत हो जाती है। ऐसे पुलिसकर्मयों को घटनास्थल पर लोगों की जान बचाने के बारे इन दिनों खास प्रकार की जानकारियां दी जा रही हैं। इसका आयोजन मंगलवार को पश्चिमी उपनगर के मालवणी पुलिस स्टेशन में वोकहार्ट अस्पताल, मीरा रोड के डॉक्टर संतोष काटे के नेतृत्व में किया जा रहा है, जिसमें दर्जनों पुलिसकर्मियों ने हिस्सा लिया।
इन्हें बेसिक लाइफ सिस्टम (बीएलएस) के बारे में ट्रेनिंग दी गई। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने ‘डमी’ के जरिए डूबे लोगों को बचाने, उनके पेट से पानी निकालने एवं अस्थायी तरीके से ऑक्सीजन देने सहित कई उपयोगी तरीकों के बारे बताया गया। हालांकि, अधिकांश पुलिसकर्मियों की सेहत नासाज होने की शिकायतों के चलते वे चाह कर भी प्रभावितों को समय से पहले बचा पाने में कामयाब नहीं हो पाते हैं।
स्ट्रेस, बीपी और हाइपरटेंशन का चक्कर
मालवणी के सीनियर पीआई दीपक फंटागरे ने बताया कि इस तरह के आयोजन से पुलिसकर्मियों को काफी फायदा मिलता है। उन्हें घटनास्थल पर पहुंच कर प्रभावितों को फर्स्ट ऐड देना और उन्हें मेडिकल मदद देते हुए अविलंब अस्पताल तक पहुंचाने के तरीकों के बारे में जानकारी मिली है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान पुलिसकर्मियों के स्वास्थ्य की भी जांच की गई।
डॉक्टर संतोष काटे बताते हैं, ‘अधिकांश पुलिसकर्मियों को हाईपरटेंशन, स्ट्रेस, डायबिटिज और हाई या लो बीपी की समस्या देखने को मिली है। इसने उन्हें छुटकारा दिलाते हुए ड्यूटी करने की जानकारियां दी गईं। धूल-धुएं के बीच एलर्जी और श्वांस संबंधी समस्याएं भी जानकारी में आईं, जिसके लिए आवश्यक दवा एवं उपचार के बारे में पुलिसकर्मियों को बताया गया।
इन्हें खास लोगों को बचाने की ट्रेनिंग और मेडिकल सुविधा देने के अलावा खुद की सेहत को भी तंदुरूस्त रखने के लिए आवश्यक दवा, व्यायाम एवं परहेज के बारे में जानकारी दी गई। उम्र बढ़ने पर पुलिसकर्मियों को नियमित रूप से मेडिकल जांच करवाना आवश्यक है।
हकीकत पुलिसकर्मियों की खराब सेहत
55 प्रतिशत: निकोटिन और अल्कोहल से प्रभावित
53 प्रतिशत: मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध
84 प्रतिशत: 15 सालों से अधिक की ड्यूटी
44 प्रतिशत: 12 घंटे से अधिक की ड्यूटी
41 प्रतिशत: 16 घंटे से अधिक की ड्यूटी
62.7 प्रतिशत: musculoskeletal से ग्रसित
51.8 प्रतिशत: पेट संबंधी बीमारियों से प्रभावित
8.3 प्रतिशत: आंख की बीमारियों से प्रभावित
41 प्रतिशत: दांत संबंधी बीमारियों से परेशान
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