साभार/ मुंबई। लंबे समय से घाटे में चल रही बेस्ट(बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई ऐंड ट्रांसपॉर्ट अंडरटेकिंग) की हालत इतनी खराब हो गई है कि प्रशासन उसके कर्मचारियों को सैलरी तक नहीं दे पा रहा है। गुरुवार को बेस्ट के फाइनैंस डिपार्टमेंट ने अपने 30,000 कर्मचारियों को पेमेंट का कुछ हिस्सा सिक्कों के रूप में दिया। हर एंप्लॉयी को 10-10 रुपये के 50-50 सिक्के दिए गए।
बेस्ट अपने कर्मचारियों को मार्च महीने की सैलरी 20 अप्रैल को दे रही थी। ड्राइवरों, कंडक्टरों समेत हजारों एंप्लॉयीज को अपने मासिक वेतन का हिस्सा सिक्कों के बैग के रूप में लेना अजीब लग रहा था। एक कर्मचारी ने कहा, ‘यह पहली बार है कि बेस्ट इस तरह से हमें सिक्कों में सैलरी दे रही है।’
बेस्ट के जनरल मैनेजर जगदीश पाटिल ने कहा, ‘फिलहाल बेस्ट के पास सिक्कों के रूप में 1.30 करोड़ रुपये हैं, ये सिक्के 10-10 रुपये के हैं। ये सिक्के बस के पैसेंजरों से इकट्ठा किए गए हैं। आरबीआई और अन्य बैंक जगह की कमी की वजह से इन सिक्कों को रखने से इनकार कर चुके हैं। कई बैंकों की ब्रांचों में सिक्कों को अलग करने वाली मशीनें नहीं हैं, इस वजह से वे बड़ी मात्रा में सिक्के नहीं स्वीकार करते। यही वजह है कि ये सिक्के बेस्ट के डीपो में बैग्स में रखे रहते हैं।’
बेस्ट 1,000 करोड़ रुपयों के घाटे में चल रही है और उसे 400 करोड़ रुपये का लोन लौटाना है। जनवरी तक ट्रांसपॉर्ट डिविजन लॉस रेश्यो(TDLR) की मदद से बेस्ट ने पेंडिंग भुगतान कर दिए थे और कर्मचारियों को सैलरी दे दी थी। खर्च प्रबंधन के लिए पिछले एक साल में बेस्ट ने कॉस्टकटिंग के कई तरीके अपनाए। बेस्ट ने पुरानी बसों की नीलामी भी की थी।
पूरे देश से तुलना करें तो मुंबई में बेस्ट की सबसे ज्यदा बसें चलती हैं। बेस्ट की बसें मुंबई शहर में तो चलती हैं और आसपास के ठाणे और मारी-भयंदर इलाकों में भी चलती हैं।
319 total views, 1 views today