‘कृषय बायोफ्यूल’ से होगा देश के इकोनोमी का विकास-डिप्टी सीएम
दीपक कुमार/पटना (बिहार)। विश्वभर में वायु प्रदूषण (Air pollution) एक बहुत जटिल समस्या बना हुआ है। वायु प्रदूषण को समाप्त करने के लिए सभी देश ग्रीन ईंधन का उपयोग करने पर जोर दे रही है।
भारत में ग्रीन इंधन बायोफ्यूल सीएनजी एवं इलेक्ट्रिक का उपयोग हेतु केंद्र सरकार भी ज्यादा बढ़ावा दे रही है। देखा जाय तो पेट्रोल-डीजल के बढ़ते कीमतों के कारण आम जन के जेब पर बड़ा दबाव पड़ रहा है।
साथ ही वायु प्रदुषण की जो विभीषिका देशभर में पनपी है, इससे इंसान को अनेक तरह की बीमारियों का सामना करना पर रहा है। ऐसे में लोग बायो फ्यूल, इलेक्ट्रिक अथवा सीएनजी इंधन को अपनाना चाहते हैं।
ऐसे में नई तकनीक से निर्मित केबीपीएल कंपनी ने ग्रीन फ्यूल के रूप में बायो-डीजल का निर्माण कर बाजार में उतर चुका हैं। यह बायो फ्यूल अखाद्य तेलों से प्राप्त किया जाता है। सामान्य रूप से सामान्य डीजल की तुलना में ये बेहतर गुणवत्ता और कम लागत पर इसका उत्पादन किया जाता है, जिससे ग्राहक के जेब पर दबाव न पड़े।
बीते 10 अगस्त को पटना के होटल चाणक्या में विश्व जैविक इंधन दिवस के अवसर पर (KBPL) कंपनी ने ‘कृषय बायो फ्यूल’ का वार्षिकोत्सव मनाया। उद्घाटन बिहार के उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद ने किया।
मुख्य अतिथि के रूप में बिहार सरकार के पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन, वन पर्यावरण एवं जलवायु मंत्री नीरज कुमार बबलू, ग्रामीण विकास मंत्री जयंत राज समारोह में उपस्थित थे।
आमंत्रित अतिथियों के स्वागत के लिए के .बी. पी. एल के प्रबंध निदेशक शिवशंकर बिक्रांत और कार्यक्रम की अध्यक्षता के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय भारत सरकार के निदेशक प्रो.(डॉ ) राम नरेश सिंह भी मौजूद थे।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि आज के समय में जिस प्रकार से प्रदुषण का कहर बढ़ रहा है। ऐसे में ‘कृषय बायोफ्यूल’ एक बेहतर समाधान प्रदुषण कम करने के लिए है।
यहां डिप्टी सीएम ने नए पेट्रोल पंप के लिए बिहार के सात लोगों को अपने हाथों एल. ओ. आई (लाइसेंस) सौंपा। उन्होंने कहा की संस्थान के प्रबंध निदेशक शिवशंकर बिक्रांत ने बायो फ्यूल का प्रसार कर देश की इकोनोमी को मजबूत करने का बड़ा पहल किया है। जिसकी सराहना करते हैं।
केबीपीएल के प्रबंध निदेशक शिवशंकर विक्रांत ने कहा कि स्वदेशी अपनाने और वायु प्रदूषण को कम करने में अग्रणी रहने वाला कृषय बायोफ्यूल (KBPL) का बिहार में तीन बायो पंप सहरसा, दरभंगा एवं समस्तीपुर में चालू हो चुका है। और 87 नए पंप एनओसी की प्रक्रिया में है।
जिसे शीघ्र ही क्रियान्वित करेंगे। साथ हीं झारखंड में भी 13 पंप एनओसी की प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा कि ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल से अगले 2 वर्षों में आयात बिल के एक लाख करोड़ रुपए की बचत होगी, वही देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
उन्होंने कहा कि ‘कृषय बायोफ्यूल’ को भारतीय बाजार में उतारने का एक मूल कारण ये है कि देश प्रदुषण मुक्त हो सके। ग्राहक को सस्ता और लंबा माइलेज देने वाला ‘कृषय बायोफ्यूल’ का भरपूर फायदा मिले।
जिससे ग्राहक का धन भी बचे और स्वास्थ्य भी। विक्रांत ने कहा कि बाज़ार में सामान्य क्रूड बायो-डीजल अर्थात बिना डिस्टिल बायो-डीजल मिलता है। जिससे गाड़ियों में फ़िल्टर चोक होने की समस्या रहती है। जबकि डिस्टिल बायो-डीजल पूर्णतया प्रोब्लम फ्री स्मूथ ग्रीन फ्यूल है।
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