फिरोज आलम/जैनामोड़ (बोकारो)। बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में जैनामोड़ जरीडीह प्रखंड के मुस्लिम बहुल गांवों में बकरीद का त्यौहार सादगी से मनाया गया।
ना महामारी के चलते जहां ईदगाह वीरान रहीं, वहीं नमाजियों ने घरों पर रहकर ही बकरीद की नमाज अता की। इस अवसर पर धार्मिक सौहार्द के साथ नमाज अता कर लोगों ने अमन, शांति और भाईचारे की दुआ मांगी।
इसके साथ ही दुनियां को कोरोना महामारी से निजात दिलाने की भी दुआ मांगी गई। ईद की तरह ही बकरीद का त्योहार भी इस वर्ष सादगी के साथ मनाया गया। गायछंदा गांव के सोशल एक्टिविस्ट अयुब अंसारी ने बताया कि इंसानियत की खैरियत, जरूरतमंदों की भलाई और पूरे समाज में भाईचारे की दुआएं मांगी गई।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण सरकार के आदेशों के तहत भीड़ एकत्रित करने पर रोक लगाई गई थी, इसलिए समाज के सभी लोगों से अपील गई की गई थी कि मस्जिदों में न जाकर घर पर ही बकरीद की नमाज अता करें।
समाज के सभी लोगों ने प्रशासन की अपील को मानते हुए घर में ही अल्लाह को याद किया और नमाज अता की। उन्होंने बताया कि इस्लाम धर्म में बकरीद का विशेष महत्व है।
इस्लामिक मान्यता के मुताबिक हजरत इब्राहीम ने अपने बेटे हजरत इस्माएल को इसी दिन खुदा की राह में कुर्बान किया था। तब खुदा ने उनके जज्बे को देख कर उनके बेटे को जीवनदान दिया था। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 12 वे महीने की 10 वीं तारीख को बकरीद का त्यौहार मनाया जाता है।
ईद के बाद 70 दिन बाद बकरीद का त्यौहार मनाया जाता है। मीठी ईद के बाद यह इस्लाम धर्म का प्रमुख त्योहार है। यह फर्ज-ए- कुर्बानी का दिन है। इस त्यौहार पर गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसके जरिए पैगाम दिया जाता है कि अपने दिल के करीब ही चीज भी दूसरों के बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देनी चाहिए।
इस त्यौहार को हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है। इसके बाद अल्लाह के हुक्म के साथ इंसानों की जगह जानवरों की कुर्बानी देने का सिलसिला शुरू किया गया।
बोकारो जिला के हद में जरिडीह प्रखंड के मुस्लिम बहुल गांव गायछंदा, टांड़ बालीडीह, तुपकाडीह, बांधडीह, बारु, पाथुरियां, जगासुर, अराजू , चिलगड्डा, जैनामौड़ के नमाजियों ने घरों में ही परिवार के साथ बकरीद की नमाज अदा की। तथा एक दूसरे को बकरीद की मुबारकबाद देते दिखे।
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