माले कार्यकर्ताओं ने खुद जल निकासी कराने की ठानी

माले सिर्फ आंदोलन नहीं जन सारोकारो को लेकर ग्राउंड जीरो पर काम करने वाली पार्टी-ब्रहमदेव

एस.पी.सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। महीने भर से कमर भर जल जमाव से परेशान समस्तीपुर जिला Samastipur district) के हद में ताजपुर प्रखंड के मोतीपुर वार्ड-7, 10, 12 के ग्रामीण भाकपा माले के पहल पर बांस, बल्ला, खुरपी, कुदाल लेकर 9 जुलाई को बड़ी संख्या में माले कार्यकर्ता सड़क पर उतरे। हलांकि माले प्रखंड सचिव सुरेन्द्र प्रसाद सिंह द्वारा इसकी जानकारी देने के बाद बीडीओ द्वारा तीन मजदूर भी भेजे गये।

जानकारी के अनुसार रहिवासियों ने माले कार्यकर्ताओं की मदद से बंद पुलिया, नाला आदि को बांस में बांस जोड़कर खोंचारा किया। विश्वकर्मा चौक से खैनी गोदाम होते हुए गांधी चौक से पूरव एनएच पुल तक नाले की सफाई की।

इस दौरान कई जगह मिट्टी भराई काटकर नाला चीरकर जल निकासी कराने में आशिक रूप से सफलता मिली, जबकि वार्ड-12 स्थित बांसबाड़ी टोला से जल निकासी का कोई उपाय नहीं हो सका। इसे प्रशासनिक पहल पर कच्चे नाले चीरकर ही जल निकासी कराना संभव हो सकेगा।

मौके पर कुशेश्वर शर्मा, अर्जुन शर्मा, किसान नेता ब्रहमदेव प्रसाद सिंह, राजदेव प्रसाद सिंह, संजीव कुमार, सुनील शर्मा, अनील शर्मा, शंभु शर्मा, जवाहर सिंह समेत दर्जनों ग्रामीणों एवं माले कार्यकर्ताओं ने नाली सफाई में भाग लिया।

मौके पर भाकपा माले ताजपुर प्रखंड सचिव सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, किसान नेता ब्रहमदेव प्रसाद सिंह ने कहा कि माले सिर्फ आंदोलन करने वाली पार्टी नहीं, बल्कि जन सरोकार के मामले पर समाज के साथ खुद भी सड़क पर उतर समस्या का निपटारा करने की माद्दा रखती है।

नेताद्वय ने कहा कि बात- बात पर प्रशासन की आलोचना करना, घर में बैठकर सोशल साइट्स पर शेखी बघारने के बजाय माले कार्यकर्ता जनता को गोलबंद कर खुद उनकी भूमिका को बढ़ाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यों में समाज को यदि प्रशासन का साथ मिल जाता है तो बगैर कोई बिघ्न- बाधा के समस्याएं समाप्त हो जाती है।

उन्होंने ताजपुर वासियों से अपील की कि जल निकासी हेतु खुद सामने आएं, प्रशासन से सहयोग भी लें। मिल- जुलकर काम करने से ताजपुर प्रखंड को जल जमाव मुक्त किया जा सकता है। विदित हो कि मोतीपुर वार्ड-7, 10,12 आदि के सैकड़ों घर, दालान, दरवाजा, खेत आदि पिछले करीब एक महीने से पुरी तरह जलमग्न है। कुछ ग्रामीण अपने घर-दालान छोड़कर खैनी गोदाम एवं अन्यत्र शरण लिए हुए हैं।

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