मनपा के 7 एकड़ जमीन का असली वारिस कौन?
मुश्ताक खान/ मुंबई। मनपा एल विभाग में करीब 7 एकड़ जमीन घोटाले की पोल आरटीआई कार्यकर्ता संजय तिवारी ने खोली है। दिलचस्प बात यह है की असल्फा परिसर में स्थित इस जमीन पर भू माफिओं का कब्जा है और अवैध निर्माण भी चल रहा है।
बताया जाता है की मनपा (BMC) के अधिकारियों को अपने खाली भूखंड की जानकारी अब तक नहीं थी। जबकि उक्त भूखंड का टीडीआर भी मिल चुका है। अब सवाल यह उठता है की मनपा की खाली जमीन पर चल रहे अवैध निर्माण का जिम्मेदार कौन? इस सिलसिले में संजय तिवारी ने एल विभाग के सहायक आयुक्त मनीष वालुंज को सारे दस्तावेज की प्रतियां दी हैं। उन्होंने वालुंज से सवाल किया है की मनपा की खाली जमीन का असली वारिस कौन?
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार मनपा प्रशासन द्वारा अधिग्रहित भूखंड जिसका सीटीएस नं. 76 पार्ट 1223 . 75 चौ. मी, सीटीएस क्रमांक 90 पार्ट 1396 . 875 चौ. मी, सीटीएस क्र. 86 – 11460 . 20 चौ. मी, सीटीएस क्र. 90 पार्ट 1724. 375 चौ. मी, सीटीएस क्र 100 पार्ट 461. 25 चौ. मी, सीटीएस 84 – 1517. 55 चौ. मी, सीटीएस 85 – 2428 . 08 चौ. मी, सीटीएस क्र. 87 – 3031. 05 चौ. मी और सीटीएस 88 – 3313. 07 चौ. मी असल्फा परीसर में स्थित है। कुल खाली जमीन का रकबा 26476. 083 यानी लगभग 7 एकड़ है। मौजूदा समय में मनपा के अधिकारियों को इस भूखंड की जानकारी ही नहीं थी।
आरटीआई कार्यकर्ता के अनुसार इस भू-खंड को हथियाने वाला भू-माफिया पर एमपीडिए के तहत कार्रवाई का आदेश भी निर्गित किया जा चुका है। इसके बावजूद उक्त भूखंड पर भू-माफिया का कब्जा है। इतना ही नहीं इस भू-खंड पर अवैध निर्माण भी चल रहा है। करोड़ों की जमीन कौड़ियों के भाव बेचने वाले अधिकारियों की पुष्ठी कर उनपर सख्त कार्रवाई करने व उक्त जमीन पर मनपा प्रशासन का बोर्ड लगाने की मांग आरटीआई कार्यकर्ता संजय तिवारी ने की है।
इस सिलसिले में तिवारी ने मनपा आयुक्त, मनपा के अतिरिक्त आयुक्त, मनपा के उपयुक्त परिमंडल 5, सहाय्यक मनपा आयुक्त एल विभाग, राज्य के मुख्य सचिव मंत्रालय, मुख्य न्यायाधीश मुंबई उच्च न्यायालय, एमआईडीसी पुलिस, स्थानीय विधायक दिलीप भाउसाहेब लांडे, वार्ड क्रमांक 159 के नगरसेवक प्रकाश देवजी मोरे और कुर्ला एल विभाग डी/402 धनलक्ष्मी को-ऑप हाउसिंग सोसायटी लिमिटेड, परेरवाडी, मोहिली विलेज साकीनाका को करीब एक माह पूर्व दिया था। उक्त पत्र का जवाब नहीं मिलने के कारण आरटीआई कार्यकर्ता संजय तिवारी फिर सक्रिय हुए और उन्होंने 7 जून को मनपा एल विभाग के सहायक आयुक्त मनीष वालुंज से मुलाकात कर उन्हें 15 दिनों में कार्रवाई करने की मांग की है।
उन्होंने कहा है कि अगर 15 दिनों में उपरोक्त सीटीएस नंबरों पर मनपा का बोर्ड नहीं लगा तो वे मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खट-खटाएंगे। आरटीआई से खुले भूखंड घोटाले में और भी परतों का खुलना बाकी है। कयास लगाया जा रहा है की भूखंड घोटाले में एल विभाग के कई अधिकारी नप सकते हैं। क्योंकि मनपा द्वारा इस जमीन को गार्डन व तालाब आदि बनाने के लिए आरक्षित किया गया है। बता दें की फिलहाल एमपीडिए का आरोपी ही अवैध निर्माण करा रहा है।
इस मुद्दे पर स्थानीय शिवसेना विधायक दिलिप लांडे (मामा) से बात करने पर उन्होंने बताया की मैंने मनपा एल विभाग के वार्ड ऑफिसर वालुंज को एक पत्र दिया है। उक्त पत्र में सख्त हिदायत दी गई है की मनपा के उपरोक्त सीटीएस से जुड़े भूखंडों को शीघ्र अतिशीघ्र खाली करा कर मनपा का बोर्ड लगाया जाए। भूखंड घोटाले में विधायक मामा ने संज्ञान लेते हुए सहायक आयुक्त को दिशा निर्देश भी दिए हैं। और साथ ही इससे जुड़े अधिकारी व भू माफिया को चिन्हित कर उन पर कार्रवाई करें। ताकि मनपा द्वारा कार्रवाई की जानकारी उन्हें भी मिल सके।
आरटीआई कार्यकर्ता संजय तिवारी (RTI Activist sanjay Tiwari) द्वारा मनपा की हड़पी हुई करीब 7 एकड़ जमीन को वापस दिलाने में अहम भूमिका निभाने के लिए उन्हें सम्मानित करना चाहिए। लेकिन यहां तो उल्टी गंगा बह रही है। इसके बावजूद तिवारी अभी से मुंबई उच्च न्यायालय में पीआईएल डालने की तैयारी में हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मनपा की उक्त खाली जमीन को भू-माफियाओं द्वारा गाला बना-बना कर बेचने की कवायद शुरू हो गई है। सूत्र बताते हैं की एक गाले की कीमत 80 लाख से एक करोड़ में बेचने का प्रस्ताव रखा गया है। ऐसे में सवाल यह उठता है की मनपा एल विभाग के सहायक आयुक्त उक्त जमीन को भू-माफियाओं के चंगुल से खाली करा पाएंगे या…?
बहरहाल इस मुद्दे पर सहायक आयुक्त मनीष वालुंज की प्रतिक्रिया लेने के लिए उनके मोबाईल पर फोन किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया इसके बाद उन्हें व्हाट्सएप पर सारे दस्तावेज के साथ संदेश भेजा गया। इसका भी जवाब नहीं आने के तीन दिनों बाद समाचार प्रकाशित किया जा रहा है। ताकि मुंबईकरों को हक दिया जा सके।
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