बापू ने दूसरों के लिए गुजारी जिंदगी, अपने लिए तो सभी !
मुश्ताक खान/मुंबई। धार्मिक विचारों के स्वामी व चेंबूर के लोकप्रिय समाजसेवक, पूर्व नगरसेवक एवं लैंड लॉड स्व. बच्चू भाई अर्जुन चौहान (बापू) का आज 80 वां जन्मोत्सव होटल महाराणा इन में काफी सादगी से मनाई गई। इस अवसर को खुशगवार बनाने के लिये उनके बड़े पुत्र अनिल बच्चू भाई अर्जुन चौहान ने स्व. पिता की तस्वीर पर मार्ल्यापण कर पुष्पगुच्छ से सजाया। यहां बच्चू भाई के करीबियों व समाजसेवकों ने आदरपूर्वक आदरणीय की तस्वीर पर पुष्प आर्पित किया। उनकी याद में लॉक डाउन (Lockdown) होने के बावजूद सुबह से दस ग्यारह बजे रात तक उनके चाहने वालों का तांता लगा रहा। क्योंकि अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन बापू ने दूसरों के लिए अपनी जिंदगी गुजार दी।
बता दें कि स्व. बच्चूभाई अर्जुन चौहान परिवार के हर सदस्य को ऐसा लगता है कि बापू अब भी उनके साथ हैं और सभी का मार्गदर्शन भी कर रहे हैं। व्यापारी परिवार से होने के बावजूद उन्होंने अपने जीवनकाल में सेवा भाव से कई ऐसे कार्य किये हैं जिसकी सराहना आज भी होती है। उनके अंदर कभी भेद भाव नहीं देखा गया। उन्होंने करीब 65 वर्ष की आयू में 9 नवंबर 2006 में चेंबूर के को कुंभारवाड़ा स्थित वसंत बिल्डिंग में अंतिम सांस ली थी। उनके अंतिम संस्कार में हजारों की संख्या में लोगों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
बापू का हंसता खेलता कुनबा
बताया जाता है कि स्व. बच्चूभाई अर्जूनभाई चौहान और उनके छोटे भाई स्व. नानूभाई अर्जूनभाई चौहान की आठ संतानें हैं। इनमें चार बेटे व चार बेटियों का समावेश है। स्व. बच्चूभाई चौहान के बड़े पुत्र अनिल बच्चूभाई चौहान और विनोद बच्चूभाई चौहान के अलावा दो बहनें भी हैं। वहीं स्व. नानूभाई अर्जूनभाई चौहान के बड़े पुत्र प्रकाश नानूभाई चौहान और दिपक नानूभाई चौहान हैं उनकी भी दो बहनें हैं। इस कड़ी में दिलचस्प बात यह है कि दोनों भाईयों से कुल आठ संतानें हैं और इस दौर में भी सभी एक साथ ही रहते हैं। स्व. बच्चूभाई अर्जून चौहान और स्व. नानूभाई अर्जून चौहान के अधुरे कार्यों को उनकी संतानों ने पूरा करने का संकल्प लिया है। हालांकि इन आठ लोगों से हंसता खेलता एक बड़ा कुनबा चेंबूर के कुंभारवाडा में स्थाई रूप से रहता है। स्व. बाप्पू का जन्म गुजरात (Gujrat) के भावनगर में 1 जून 1941 में हुआ था। मां पिता के लाडले बच्चूभाई अर्जूनभाई चौहान करीब 6 वर्ष की आयू में गुजरात के भावनगर से मुंबई आ गए। मुंबई के चेंबूर में ही उन्होंने के जी से पीजी तक शिक्षा ली। शिक्षा के साथ-साथ उन्होंने अपने पिता के कायों में न केवल सहयोग दिया बल्कि बच्चू भाई और नानू भाई ने मिलकर अपने व्यावसाय को और आगे बढ़ाया। अब उन्हीं की राह पर चल पड़े चारों भाई पिता और चाचा के सपनों को साकार कर रहे हैं। एक सवाल के जवाब में अनिल बच्चूभाई चौहान ने कहा की कोरोनाकाल में भी मैं और मेरे परिवार के सदस्यों ने अपनी तरफ से गरीब व असहाय लोगों की हर संभव सहायता की है। इस परिवार की यह सोच है कि यहां का कोई भी नागरिक भुखा पेट न सोए। इस कड़ी में मजेदार बात यह है कि अनिल बी चौहान व उनके पारिवारिक सदस्यों में बेटी और बहुएं भी सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।
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