भाई भरत के चरित्र को जीवन मे अपनाएं तो जीवन सार्थक होगा-अच्युतानन्द

प्रहरी संवाददाता/पेटरवार(बोकारो)। आज भाई भाई के बीच उत्पन्न आपसी वैमनस्यता, तनाव से जीने की सार्थकता सिद्ध नही होती। यह उक्ति है वाराणसी (Varanasi) से पधारे मानस मर्मज्ञ अच्युतानन्द पाठक की, जो बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में पेटरवार प्रखंड के अंगवाली गांव के धर्म-स्थल मैथान टुंगरी में आयोजित रामचरित मानस के पंचम रात्रि प्रवचन के दौरान बीते 6 अप्रैल की रात बोल रहे थे।

उन्होंने मानस में वर्णित भरत चरित्र पर ब्याख्यान देते हुए कहा कि भरत जी ने बड़े भाई राम को वन से वापस लाने में कामयाब नही हुए तो वे भाई राम की वास्तविक मजबूरी को भी समझ गये और एक तपस्वी की भांति प्रभु श्रीराम की चरण-पादुका को ही मांग लिया।उन्होंने उनके लौटने तक 14 वर्षों तक भाई राम की चरणपादुका को सिंहासन पर रखकर प्रजा की सेवा की। यह उनकी भातृत्व-प्रेम की पराकाष्ठा को प्रदर्शित करती है। आज के भाई इस प्रसंग को यदि जीवन मे अपना लें तो परिवार व समाज मे उनके जीने की सार्थकता सिद्ध हो जाएगी।
चित्रकूटधाम से पधारी मानस माधुरी राजकुमारी (Madhuri Rajkumari) ने भरत चरित्र पर बेवाक विश्लेषण करते हुये कहा कि भाई भरत ने प्रभु श्रीराम की विपत्ति का बंटवारा किया न कि सम्पत्ति का। आज परिवार में भाई भाई के बीच संपत्ति बंटवारे को लेकर खूब तनाव उत्त्पन्न हो जाता है। यहां तक कि वे एक दूसरे की जान के दुश्मन तक बन जाते है, जो उचित कदापि नही है। भाई के सम्पत्ति को छीनकर कोई भी सुख से जी नही सकता। मानस माधुरी ने समाज के लोगों को मानस के भरत चरित्र को अपनाने की सलाह दी।
व्यास अनिल पाठक ने अपने सहयोगियों के साथ संगीतमय लयवद्ध गायन से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। मानस मंच पर श्रीराम दरबार में नतमस्तक होने आये गिरिडीह के पूर्व सांसद रविन्द्र कुमार पांडेय को अध्यक्ष सत्यजीत मिश्रा, मंच संचालक संतोष नायक, गौरबाबा एवं अन्य पदाधिकारियों ने स्वागत किया। मौके पर प्रवचन के दौरान बड़ी संख्या में महिला पुरुष श्रद्धालु रहिवासी उपस्थित थे।

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