संतोष कुमार/वैशाली(बिहार)। इन दिनों बेरोजगारी और बेरोजगारों की चर्चा काफी होती देखी जा रही है। जहां देखें ग्रामीण हो अथवा शहरी क्षेत्र। दर्जनों लोग समय काटते भी मिलेंगे और अपनी कथित पीड़ा बयान भी करते पाए जाएंगे कि बेरोजगारी का दौर है नहीं तो वे भी कुछ कर गुजरते।
बात जो भी हो जनसंख्या और रोजगार का सम्बन्ध गहराता जा रहा है। यह एक डरावना सच साबित होता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर एक ऐसा सख्श भी है जो कभी नागपुर महाराष्ट्र (Nagpur Maharashatra) में एक सॉफ्टवेयर इंजिनियर (Software Engineer) हुआ करता था। डेवलपर के रूप में उसने अपना एक संस्थान भी खोल रखा था। कोरोना के कहर ने उसे भी नहीं बख्शा। वह अपने गांव वैशाली जिला के हद में सदर प्रखंड क्षेत्र के दयालपुर तिवारी टोला तामझाम समेटकर आ गया। यहां आकर उसने मछली पालन का कार्य शुरू किया। डिजिटल प्रचार शोशल मीडिया के जरिए भी उसने किया।
युवक पंकज कुमार तिवारी दिवंगत राम कुमार तिवारी का बड़ा पुत्र बताया जा रहा है, जिसकी चर्चा अब दूसरे जिलों के बेरोजगार युवाओं के बीच भी काफी तेजी से होने लगी है। कारण बेरोजगारी का दंश झेल रहे वैशाली और आसपास के जिलों से पंकज को काल्स भी आने लगे हैं। जैसा कि उसने बताया है। हालांकि पंकज को फ़िसरी प्रोजेक्ट जो बायो फ्लोक पर आधारित है। उसे विस्तार रूप में बड़े उद्योग का रूप देने के लिए काफी बड़ी पूंजी की जरूरत है जो बैंकों से उम्मीद भी है कि उसकी पूंजीगत समस्या दूर हो जाएगी।
पंकज ने बताया कि एक टैंक का उत्पादन लागत मात्र हजारों रुपये में है। उससे कमाई भी हजारों में निश्चित है। जगह भी कुछ धुर जमीन के रूप में जरूरत पड़ेगी। सिर्फ एक टैंक स्थापित करने के लिए। पंकज से फोन पर व् उनके पैतृक आवास तिवारी टोला आकर भी युवा काफी संख्या में आते जाते रहते हैं। जिनकी इच्छा रहती है कि वे भी मार्गदर्शन प्राप्त कर पंकज की तरह प्रोजेक्ट लगाएं। जबकि अब तक बैंक के तरफ से कोई सहयोग की पहल नहीं की गई है। वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर के पशुपालन एवं मत्स्य अधिकारी और एक बैंक के प्रमुख अधिकारी की तरफ से उनके इस प्रयास को मौखिक रूप में सराहा भी जा चुका है। हालांकि पंकज काफी आशान्वित हो कहते हैं कि उन्हें मेहनत पर भरोसा है। अभी कमाई लाखो में है। अगर सहयोग मिलता रहा और परिस्थितियां अनुकूल रही तो यह एक अच्छी इंडस्ट्री का रूप लेकर राज्य के दूसरे जिलों के बेरोजगार युवाओं को राहत प्रदान कर सकेगा। पंकज अपने इस तरक्की भरे राह पर सौभाग्य का साथ देने का श्रेय अपने परिजनों को देते हैं। खासकर उन्हें अपनी मां जो एक जिम्मेदार शिक्षिका के रूप में भी रही है उन्हें देते हैं। अपनी धर्मपत्नी की सराहना करते हुए उन्हें इस काम में डिजिटल सहयोगी मानते हुए उनके प्रति भी बेहद प्रेम जताते हैं।
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