एस.पी.सक्सेना/रामगढ़(झारखंड)। सीसीएल की रजरप्पा वर्क शॉप रजरप्पा क्षेत्र में 31 जनवरी को एक मजदूर सभा का आयोजन किया गया। सभा में सैकड़ो की संख्या में क्षेत्र के मजदूरों ने भाग लिया।
सभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ (National colliery labour union) ( के राष्ट्रीय महामंत्री रामेंश्वर सिंह फौजी ने कहा कि मजदूर हमारी यूनियन की पुंजी है। उनके मान-सम्मान की रक्षा करना मेरी प्रतिज्ञा में शामिल है। उन्होंने कहा कि मजदूर राष्ट्रहित एवं उद्योग हित में अपना जान जोखिम में डाल कर कोयला निकालने का काम करते हैं। प्रबंधन अगर उनके किसी काम में कोताही करती है तो उसे कभी बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। फौजी ने सवालिया लहजे में कहा कि मजदूर को प्रबंधन से क्या चाहिए? रहने के लिए सुव्यवस्थित आवास, चिकित्सा का उचित प्रबंध, बच्चों के लिए उचित शिक्षा का प्रबंध, समय पर पदोन्नति, मजदूरों के मिलनें वाला टीए-डीए, मेडिकल, एलटीसी/एलएलटीसी समय पर मिले। साथ हीं सेवानिवृति के बाद घूस दिये बिना ग्रेच्युटी एवं पीएफ का भुगतान हो जाए।
फौजी ने कहा कि प्रबंधन द्वारा मजदूरों का शोषण का एक मात्र कारण यूनियन है। कई तथाकथित मजदूर नेताओं ने यूनियन को धन कमानें का जरिया बना डाला है। ये मजदूरों का काम कम करते हैं और अपना झोली ज्यादा भरते हैं। इन्हें चाहिये लोहा, तेल, हाजरी चोरी में कमीशन। रोड सेल, रैक लोडिंग, आउट सोर्सिंग में काम करने वाले से कमीशन। ऐसे नेता से सचेत रहें। ट्रेड यूनियन में 90 प्रतिशत भ्रष्ट नेता अपनी पैठ बना चुके हैं। इन्हें हटायें और खुद नेता बने। हमारी यूनियन भ्रष्टाचार एवं भ्रष्टाचारियों से समझौता नहीं करेगी। मजदूरों के शोषण करने वालों को कत्तई बर्दाश्त नहीं करेगी। हमारी युनियन के नेता अगर मजदूरों के काम लेकर जाते हैं तो टेबल पर बैठे किसी ऑफिस के कर्मचारी या अधिकारी ने टाल-मटोल किया तो उसे या तो खुद से ट्रांसफर करवाकर भागना पड़ेगा या नौकरी छोड़ कर भागनी पड़ेगी। भ्रष्टाचार एवं भ्रष्टाचारियों को बक्सा नहीं जायेगा। चाहे उसे प्रबंधन का या किसी बड़े नेता का बर्दहस्त क्यों ना प्राप्त हो। फौजी नें कहा कि आज इंटक और कांग्रेस की देन है कि मजदूरों के बच्चे आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, इंजिनियर एवं बड़े-बड़े पदो पर आसीन हैं। इसका कारण कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण होना है। केन्द्र सरकार फिर से कोयला उद्योग को निजी हाथों में देना चाहती है। हमें हमेशा लड़नें के लिए तैयार रहना पड़ेगा नहीं तो हम फिर से बंघुआ मजदूर बननें की ओर बढ़ रहे हैं। मजदूरों को चट्टानी एकता बनाये रखना होगा।
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