एस.पी.सक्सेना/पटना(बिहार)। माध्यम फाउंडेशन (Madhyam Foundation) द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार केेेेेे सौजन्य से ‘त्रिवेणी नाट्य महोत्सव’ के अंतर्गत ‘आधुनिक परिवेश में लोक संस्कृति का महत्व’ विषय पर सेमिनार का आयोजन 10 दिसंबर को कालिदास रंगालय पटना के सेमिनार हॉल में आयोजित किया गया। सेमिनार में शहर के कई रंगकर्मियों ने अपनी प्रतिभागिता दर्ज की। उक्त जानकारी कलाकार साझा संघ के सचिव मनीष महिवाल ने दी।
महिवाल ने बताया कि इस आयोजन में धर्मेश मेहता ने मंच का संचालन किया। सेमिनार में वक्ता के तौर पर वरिष्ठ रंगकर्मी सुमन कुमार, सनत कुमार, जयदेव दास, डॉ राजा बाबू और शम्भू प्रसाद सिंह ने भाग लिया। सेमिनार की अध्यक्षता शम्भू प्रसाद सिंह ने किया।
महिवाल ने बताया कि सेमिनार में काशी (उत्तर प्रदेश) से आये रंगकर्मी जयदेव दास ने लोक कला को आम जनता के व्यवहार से जोड़कर देखा। निर्देशक सनत कुमार ने लोक कला के महत्व को रेखांकित किया तथा इसपर व्यापक अध्यनन करने की जरूरत पर जोर दिया। आधुनिक समय मे लोक कलाओं को पढ़े जाने की आवश्यकता पर उन्होंने बल दिया। निर्देशक कुमार ने कहा कि आधुनिक समय में हमारा नाटक तकनीकी तौर पर मजबूत हुई है, पर उसमें कथ्य और लोक परंपराओं को पीछे छोड़ चुकी है।
सेमिनार में डॉ राजा बाबू ने आधुनिकता में लोक कलाओं के समिश्रण की संक्षिप्त व्याख्या की। उन्होंने आधुनिक काल में हमारे पारम्परिक संस्कृति में मिश्रित होने वाली संस्कृति की चर्चा की। साथ हीं अपनी लोक कला को जीवित रखने की बात पर जोर दिया। वरिष्ठ रंगकर्मी सुमन कुमार ने भिखारी ठाकुर की मान्यता के समकालीनता पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि आधुनिक कला जो आज विकसित रूप में हमारे सामने है, वो पारम्परिक लोक कलाओं की ही देन है। आधुनिकता में लोक परंपराओं के महत्व पर विस्तार से उन्होंने चर्चा की।
सेमिनार में हीरालाल, मनीष महिवाल, मृत्युंजय शर्मा, सोनू कुमार, रवि कुमार, अभिषेक कुमार, पायल कुमारी, सोनल, आर नरेंद्र, रजनी कुमारी, प्रह्लाद कुमार, रंजन कुमार, रास राज, विक्रांत चौहान आदि ने भाग लिया। आगन्तुक का धन्यवाद ज्ञापन माध्यम फाउंडेशन के सचिव धर्मेश मेहता ने किया।
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