SC – HC के आदेशों की धज्जियां उड़ाते स्कूली वैन

प्रशासन से परेशान बस मालिक

मुंबई। हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश पर नवी मुंबई परिवहन विभाग ने स्कूल बसों पर कार्रवाई करते हुए मोटी रकम बतौर जुर्माना वसूल किया है। वहीं कोर्ट के आदेश के बावजूद मुंबई परिवहन विभाग के सुस्त रवैये के कारण शहर व उपनगरों की सड़कों पर करीब 8 हजार से अधिक स्कूल बसें कानून को ताक पर रखकर दौड़ रही हैं।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश स्कूल बस हादसे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश के स्कूल बसों के लिए 13 गाइड लाईन जारी करते हुए, सभी राज्यों के परिवहन विभाग को सख्ती से पालन करने का निर्देश भी दिया है। लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की मुंबई सहित पूरे राज्य में खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। ऐसा महाराष्ट्र स्कूल बस एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल गर्ग व इसके सलाहकार संतोष शेट्टी का कहना है। बता दें कि 15 जून से मुंबई के लगभग सभी स्कूल खुलने वाले हैं। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है की आखिर मुंबई परिवह विभाग सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेशों का पालन क्यों नहीं कर रहा है?

बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने शहर में गैर कानूनी तरीके से चल रहीं स्कूल बसों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उक्त आदेश में कहा गया है कि स्कूल के साथ बिना करार चल रहीं बसों पर प्रतिबंध लगाया जाए। हालांकि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र स्कूल बस ओनर एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल गर्ग ने कहा कि नियमानुसार स्कूल प्रबंधक के साथ करार हुए बिना स्कूल बस चलाना कानूनी अपराध है।

इसके बावजूद यहां कानून को ताक पर रखकर मुंबई में ही 8 हजार से अधिक अवैध स्कूल बसें मुंबई की सड़कों पर दौड़ रही है। छात्रों की सुरक्षा को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि निजी वाहन हो या सरकारी, सभी को छात्रों को ले जाने के लिए स्कूल के साथ करार करना आवश्यक है। कोर्ट ने छात्रों की सुरक्षा के पूरे इंतजाम के साथ बच्चों को घर से लाने व ले जाने के लिए 13 से अधिक सीटों वाली बसों का इस्तेमाल करने को कहा है।

इसके अलावा सभी स्कूलों में परिवहन समिति की स्थापना करना, वाहन चलाने वाले चालक को निम्नतम 5 वर्ष वाहन चलाने का अनुभव होना, स्कूली वाहनों को चटख पीले रंग से रंगना, वाहन की रफ्तार पर नियंत्रण रखने के लिए रफ्तार नियंत्रक यंत्र (स्पीड गवर्नर) लगाना, बसों में महिला सहायक का होना, आपातकालीन निकासी द्वारा का होना, आपातकालीन सभी आवश्यक दवाओं से युक्त प्राथमिक उपचार की पेटी का होना, वाहन में आगे और पीछे दो अग्निशमन यंत्र का लगा होना, वाहनों की खिड़कियों का सुरक्षित होना जैसे कई अन्य नियमों का समावेश है।

माननीय हाईकोर्ट के आदेशानुसार सभी स्कूली बसों में फस्टेड एड बॉक्स व अग्निशमन यंत्र होना अनिवार्य है। इतना ही नहीं स्कूली बसों पर स्कूल का नाम व फोन नंबर मोटे अक्षरों में भी लिखा होना चाहिए। वहीं राज्य सरकार ने स्कूली बच्चों को उनके घरों से स्कूल तक लाने व पुनः उन्हें उनके घर तक छोड़ने का व्यवसाय करने वाले सभी वाहनों के लिए कई नियमों का पालन करने की अनिवार्य शर्त लगा रखा है। इसके बावजूद मुंबई परिवह विभाग की लापरवाही खतरों का संकेत है।

अध्यक्ष गर्ग ने बताया की बिना करार चलने वाली बसों पर आरटीओ (राज्य परिवहन विभाग) के अलावा ट्रैफिक पुलिस (यातायात पुलिस) भी कार्रवाई कर सकती है। लेकिन ट्रैफिक पुलिस यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लेती है कि यह मेरे अधिकार में नहीं है। एसोसिएशन के अध्यक्ष ने प्रशासन पर बस मालिकों को परेशान करने का आरोप लगाया है।

अनिल ने कहा कि केवल मुंबई में ही 8 हजार से अधिक अवैध स्कूल बस एवं वैन चल रहे हैं, जिनके पास परमिट तक नहीं है, फिर भी वह बिना रोक- टोक शहर की सड़कों पर दौड़ रहे हैं। उनके खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होती है। वहीं दूसरी तरफ एसोसिएशन की बसों से आए दिन नियमों के उल्लंघन के नाम पर हजारों रुपए का जुर्माना वसूला जा रहा है।

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