एस.पी.सक्सेना/ समस्तीपुर (बिहार)। योगी- मोदी सरकार द्वारा रासुका लगाकर विगत 8 महीने से जेल में बंद डा. कफिल खान (Dr. Kafeel Khan) को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 1 सितंबर को रिहा कर दिया गया। डॉ कफिल के रिहा किये जाने से आइसा, इन्नौस, ऐपवा, इंसाफ मंच, भाकपा माले आदि संगठनों के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर फैल गई।
इस मुद्दे पर विगत 8 महीने से धारावाहिक आंदोलन के नेतृत्वकर्ता समस्तीपुर जिला के हद में भाकपा माले के ताजपुर प्रखंड सचिव सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय सिर्फ रिहाई ही नहीं किया बल्कि अपने फैसले में डॉ कफील के भाषण को देश की एकता एवं भाईचारा बढ़ाने वाला करार दिया है। बात-बात पर राजनीतिक विरोधियों पर योगी सरकार द्वारा रासुका लगाने पर यह टिप्पणी करारा प्रहार है। सरकार को अब भी अपने तमाम राजनीतिक विरोधियों को रिहा कर देना चाहिए।
कफील खान का भाषण हिंसा भड़काने वाला नहीं, एकता का संदेश: हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ कफील खान की तुरंत रिहाई का आदेश दिया। वे आठ महीने से मथुरा की जेल में बंद थे। हाईकोर्ट ने डॉ. खान के खिलाफ लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के आदेश को भी रद्द कर दिया है। कोर्ट ने रासुका लगाने और उसका समय बढ़ाने को भी गैर-कानूनी बताया। हाईकोर्ट ने इस मामले में 28 अगस्त को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
डॉ कफील पर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लेकर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में अलीगढ़ के डीएम ने रासुका की कार्रवाई की थी। इसके खिलाफ डॉ. कफील की मां नुजहत परवीन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कफील खान का भाषण सरकार की नीतियों का विरोध था। उनका बयान नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने वाला नहीं बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता का संदेश देने वाला था। इस निष्कर्ष पर पहुंचते हुए कोर्ट ने डॉ कफील खान को तुरंत रिहा करने का आदेश सरकार को दिया।
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