एस.पी.सक्सेना/ बोकारो। आज नेता की परिभाषाएं बदल गयी है। पहले नेताओं में सहृदयता होता था। अब ठीक इसके उलट हमारे नेता हृदय विहीन हो गए हैं। यह विचार झारखंड के प्रखर राजनीतिक विश्लेषक विकास सिंह के हैं।
विश्लेषक विकास सिंह ने वर्तमान राजनीतिक परिवेश पर कटाक्ष किया है। वकौल विकास सिंह गुरू द्रोणाचार्य ने इस बार मछली की आँख नहीं बल्कि सामने बने नेता के पुतले की तरफ ईशारा करते हुये युधिष्ठिर को नेता का ह्रदय वेधने का आदेश सुनाया।
गुरू ने पूछा क्या देखते हो। युधिष्ठिर ने बताया किं वह नेता का कुरता, उसकी टोपी, उसके पाकेट में रखा पेन देख रहा है। गुरू ने कहा बस करो। फिर दूर्योधन को आदेश दिया। उससे भी पूछा क्या देखते हो। दूर्योधन ने बताया किं वह नेता के पीछे रखी कुरसी देख रहा है। गुरू ने कहा बस करो। फिर एक एक कर भीम, नकुल, सहदेव सभी के उत्तर से असंतुष्ट गुरू ने अर्जुंन को आदेश सुनाया।
गुरू ने पूछा क्या देखते हो। अर्जुंन ने बताया किं वह नेता का मँहगा गागल्स चश्मा, रेशमी बनियान, नाव जैसी टोपी। गुरू ने कहा नेता के हृदय को लक्ष्य करो। अर्जुंन ने फिर ध्यान से नेता के पुतले की ओर देखा और अपना गांडीव भूमि पर रख दिया और गुरू से कहा माफ किजीये गुरुवर.. नेता का हृदय तो है हीं नहीं। वह स्थान तो खाली है। गुरु ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा वत्स यह पहले वाला हृदय सम्राट नेता नहीं बल्कि वर्तमान का महान हृदय विहीन नेता है।
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