निर्वाचन आयोग कर रहा है बिहार चुनाव की तैयारी
संतोष कुमार झा/ मुजफ्फरपुर (बिहार)। बिहार (Bihar) में आगामी 29 नवंबर से पहले नयी सरकार का शपथ ग्रहण हो जाना है। इसी के मद्देनजर निर्वाचन आयोग ने बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। इसको लेकर आयोग बिहार में 26 जून को सभी संबंधित मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ बैठक कर चुका है। ताकि आयोग के निर्देशों का पालन हो। इधर प्रदेश में वोटर लिस्ट अपडेट करने का भी काम चल रहा है। इस बीच मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने एक बार फिर कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव समय पर कराने के लिए निर्वाचन आयोग हर स्तर पर तैयारी कर रहा है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त अरोड़ा ने बिहार में वर्चुअल चुनाव की मांग पर छिड़ी बहस के बारे में कहा कि वर्चुअल चुनाव प्रचार समय की जरूरत है। ऑनलाइन या मोबाइल के जरिए वोटिंग के विकल्प पर अभी आयोग कोई विचार नहीं कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया 29 नवंबर 2020 तक पूरी करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और जिला स्तर पर आवश्यक तैयारियां चल रही हैं।
वैश्विक महामारी कोरोना (Coronavirus) के दौरान मतदाताओं को ड्यूटी पर तैनात मतदानकर्मियों की सुरक्षा के लिए निर्वाचन प्रक्रिया में जरूरी बदलाव किया जा रहा है ताकि सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजेशन, मास्क आदि की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या अधिकतम 1000 तक सीमित की जाएगी। फिलहाल यह संख्या 1500 है। इसके लिए अतिरिक्त मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। बिहार के लिए 33797 अतिरिक्त मतदान केंद्र बनाए जा रहे हैं। इस अनुपात से सुरक्षा बलों, मशीनरी और मतदानकर्मियों की व्यवस्था की जाएगी।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि 80 वर्ष से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग, दिव्यांग, अनिवार्य सेवाओं में ड्यूटी दे रहे और घर में क्वारंटीन रहने वाले मतदाताओं को वैकल्पिक डाक मतपत्र की सुविधा दी जाएगी। प्रचार में भी कोरोना वायरस से संबंधित नियमों का पालन करना होगा और यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राजनीतिक दलों से संबंधित सभी पक्षों की होगी। उन्होंने कहा कि चुनाव से जुड़े काम के लिए फील्ड में तैनात या आगे तैनात किए जाने वाले अधिकारियों को संबंधित सावधानियों के बारे में जागरूक बनाया जा रहा है। इस संबंध में प्रशिक्षण और जरूरी उपलब्धता सुनिश्चित करने की तैयारी चल रही है।
COVID-19 के मद्देनजर मतदाता दिशा निर्देशिका को भी अपडेट किया जा रहा है। इनमें कोरोना वायरस से बचाव के लिए जरूरी दिशा निर्देशों को भी शामिल किया जाएगा। इसे सभी माध्यम से मतदाताओं तक पहुंचाया जाएगा। डिजिटल माध्यमों के प्रयोग पर विशेष जोर रहेगा। उन्होंने कहा कि वर्चुअल रैलियों को लेकर लेकर चुनाव आयोग ने 17 जुलाई को सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों को 31 जुलाई तक अपनी राय भेजने के लिए कहा है।
बिहार में प्रचार के संबंध में अनेक राजनीतिक दलों ने विचार भेजे हैं, इस पर मंथन चल रहा है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग कोई भी कर सकता है। स्वास्थ्य संबंधी सरोकारों को देखते हुए वर्चुअल चुनाव प्रचार भी समय की जरूरत बन सकती है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, इंटरनेट वेबसाइट्स को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मांगते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13 अप्रैल 2004 को दिए गए आदेश के दायरे में लाया गया है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह इन प्लेटफार्म पर भी सभी राजनीतिक विज्ञापनों के लिए एमसीएमसी से मंजूरी अनिवार्य कर दिया गया है।
चुनाव आयुक्त के अनुसार सोशल मीडिया पर राजनीतिक उम्मीदवारों की जवाबदेही बढ़ाने के लिए नामांकन दाखिल करने के समय उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया के बारे में जानकारी देनी होती है। मीडिया वेबसाइट आदि डिजिटल माध्यम से चुनाव प्रचार पर किए गए खर्च को भी उम्मीदवार के चुनाव खर्च में शामिल किया जाता है।
इसमें अन्य बातों के अलावा इंटरनेट कंपनियों को किया गया भुगतान और प्रचार अभियान से संबंधित सोशल मीडिया अकाउंट चलाने पर हुआ खर्च भी शामिल है। आदर्श आचार संहिता के प्रावधान उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों द्वारा सोशल मीडिया इंटरनेट पर पोस्ट की जा रही सामग्री पर भी लागू होते हैं। लोकसभा चुनाव के वक्त प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा शैक्षिक आचार संहिता यानी वॉलेंटरी कोड ऑफ एथिक्स भी लागू की गई थी, यह भी एक हल है।
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