गरीबों के 5 हजार पर सरकार की नजर
मुंबई। रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया के नये फरमान ने वृद्धा पेंशनधारकों, सब्सिडी के चक्कर मे नया एकाउंट खुलवाने वालों और अपने जेब खर्च से थोड़ा -थोड़ा बचाकर पैसा जमा करने वाले छात्रों को हिला कर रख दिया है। ऐसे लोगों का कहना है की मोदी सरकार अब गरीबों के मुंह का निवाला भी छीन सकती है। विदेशों से काला धन लाने में नाकाम मोदी सरकार अब देश में ही काले धन की तलाश कर रही है।
गौरतलब है कि कांग्रेस सरकार के दौर में आधार कार्ड के खिलाफ बोलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब उसी की सराहना कर रहे हैं। और चाणक्य नीति से आधार कार्ड के आधार पर देशवासियों का बैंक अकाउंट खुलवा कर लोगों पर नया नया बोझ लादते जा रहे हैं। सरकार भले ही अच्छा काम कर रही हो लेकिन इसका खामियाजा गरीब और गरीबी से जूझ रही जनता को भुगतना पड़ रहा है।
हाल ही में रिजर्व बैंक ने फरमान जारी किया है कि हर खाता धारक के खाते में न्यूनतम पांच हजार रूपये होना अनिवार्य है। इससे कम राशि रहने पर खाता धारकों से हर्जाना के तौर पर कुछ प्रतिशत रकम बैंक द्वारा काट लिया जाएगा। लिहाज सभी बैंकों के खाता धारकों को सलाह दी जाती है की वे अपना खाता सुचारू रूप से चलाने के लिए नियमों का पालन करें। वरना जमा राशि में से कटौती हो सकती है? इससे खाताधारकों में हड़कंप मच गया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले सरकार द्वारा रसोई गैस का सब्सीडी देने के नाम पर बिना किसी जमा राशि के खाता खुलवाया गया और अब खाता धारकों को बैंकों द्वारा चेतावनी दी जा रही है कि खाता में पांच हजार से कम रहा तो उसका चार्ज कटेगा। एसे में सवाल उठता है कि भारी संख्या में देशवासियों ने सब्सीडी लेने के लिए खाता खुलवाये हैं।
वहीं बड़ी संख्या में लोग वृद्धा पेंशन लेने के लिए भी खाता खोला गया है। इसके अलावा बड़ी संख्या में स्कूल कॉलेज के छात्र अपने जेब खर्च मे कटौती कर बचत करने के गरज से खाता खोल रखा है। ऐसे में सवाल उठता है कि जिनके खाते में पांच हजार रूपये से कम होगी, तो उसका एकाउंट बंद कर दिया जाएगा, या पेनॉल्टी के तौर पर गरीबों की गढ़ी कमाई को सरकार डकारती रहेगी?
383 total views, 1 views today