मुंबई। उच्चतम न्यायालय ने अतिक्रमण हटाने के लिए मुंबई का हाजी अली दरगाह ट्रस्ट के अब तक के प्रयासों की सराहना करते हुए उससे कहा कि ऐतिसाहिक दरगाह में पांच सौ वर्ग मीटर क्षेत्र में अतिक्रमण को भी हटाया जाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि अतिक्रमण करने वाले छह जून तक अतिक्रमण हटाने के आदेश का पालन नहीं करें तो बंबई उच्च न्यायालय द्वारा गठित संयुक्त कार्य बल 10 जून से उन्हें हटाने का काम करेगा और इस काम को 30 जून तक पूरा करेगा।
प्रधान न्यायाधीश न्यायामूर्ति जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि 1431 ई. की इस ऐतिहासिक दरगाह के आसपास सौन्दर्यीकरण की योजना 30 जून से पहले शीर्ष अदालत में पेश किया जाए।
न्यायालय ने कहा कि ट्रस्ट द्वारा तैयार की गई सौन्दर्यीकरण की योजना को स्वीकार किया जा सकता है और यदि आवश्वयक हो तो मुंबई नगर परिषद इसमें सुधार कर सकती है। परिषद इस काम को करने के लिए दूसरी योजना से इसे स्थानापन्न करने के लिए स्वतंत्र होगी और वह इस काम में जाने- माने शहरी हेरिटेज वास्तुशिल्पी की मदद भी ले जा सकती है।
पीठ ने कहा कि योजनाओं पर अमल करते समय समुदाय के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखना होगा। न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई तीन जुलाई के लिए स्थगित कर दी। हाजी अलीग दरगार का निर्माण 1431 ई. में धनाढा मुस्लिम कारोबारी सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी के सम्मान में किया गया था, जिन्होंने मक्का की तीर्थयात्रा पर जाने से पहले अपना सब कुछ दे दिया था।
पीठ ने कहा कि यह आदेश 13 अप्रैल को पारित आदेश की ही कड़ी है। न्यायालय ने ट्रस्ट द्वारा आठ मई तक अमल के बारे में दाखिल हलफनामा भी रिकार्ड में लिया। न्यायालय ने ट्रस्ट के सदस्यों और वकीलों के दल की भी सराहना की, जिन्होंने समय- समय पर महत्वपूर्ण जानकारी देने में मदद की।
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