संजय कुमार/ समस्तीपुर (बिहार)। हाल के दिनों में हमारे देश भारत का परिदृश्य फिल्मी कलाकार मनोज कुमार (Manoj Kumar) उर्फ भारत कुमार के फिल्मी गीत जो हमारे देश की सँस्कृति की याद दिलाती है उसकी प्रासंगिकता को तार तार कर दिया है। गीत के बोल कुछ इस प्रकार है:-
जीते हो किसी ने देश तो क्या- हमने तो दिलों को जीता है।
जहाँ राम अभी तक है नर में- नारी में अभी तक सीता है।।
इतने पावन हैं लोग जहाँ – मैं नीत-नीत शीश झुकाता हूँ।
भारत का रहने वाला हूँ – भारत की बात सुनाता हूँ।।
आज से ठीक 50 वर्ष पहले वर्ष 1970 में मनोज कुमार, जिन्हे हमलोग आज भी “भारत कुमार” कहकर संबोधित करते हैं ने एक फिल्म बनाई थी “पूरब और पश्चिम”। ऊपर जो पंक्तियाँ लिखी हैं, वो इसी गाना से लिया गया है। हम आज भी स्वतंत्रता दिवस तथा गणतंत्र दिवस (15 अगस्त और 26 जनवरी) को ये गाना सुनते हुए बहुत ही गौरवान्वित होते हैं। लेकिन आज हमारा देश जिस मुहाने पर आकर खड़ा हो गया है, वो स्थिति कहीं से भी ऊपर लिखे गाने को चरितार्थ नहीं करता है।
पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के प्रति नफरत का ये क्या पैमाना हो गया की अच्छे दिन का स्वपन दिखाने वाले हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कुछ लोग एक युवक का सर मुंडा कर, सर पर “जय श्री राम” लिखकर उससे जबर्दस्ती “जय श्री राम” का नारा केवल इसलिए लगवाते हैं क्योंकि वह युवक नेपाली था।
माननीय प्रधानमंत्री महोदय आपने तो सम्पूर्ण देशवासियों को “सबका साथ- सबका विकास- सबका विश्वास” का भरोसा दिलाया था। महोदय आपने ही सम्पूर्ण देशवासियों को “अच्छे दिन” का सब्जबाग भी दिखाया था। फिर आपके ही संसदीय क्षेत्र में कोई भला कैसे कानून को ठेंगा दिखाते हुए हमारी गंगा-जमुनि तहजीब को सरेआम खंडित कर सकता है? कैसे प्रधानमंत्री महोदय कैसे?
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