आनंद मिश्र /मुंबई।
हेल्थ केयर के क्षेत्र में समाज सेवा करने वाले राजीव सिंगल (Rajiv Singal) का नाम इस प्रोफेशन से जुड़ा हर कोई जानता है। पिछले 25 सालों से श्री सिंगल कई संस्थाओं के मार्फत और व्यक्तिगत स्तर पर भी लोगों को चिकित्सकीय मार्गदर्शन, मेडिकल असिस्टेंस और यहाँ तक कि गरीबों के इलाज के लिए फंड भी देने का काम अनवरत करते आ रहे हैं। ऐसे में जब लॉकडाउन लगा तो वे भला कैसे पीछे रह सकते थे। मेडिकल वर्ल्ड की नब्ज को बारीकी से समझने वाले श्री सिंगल ने कोरोना काल की आहट को पहले से ही भांप लिया था और 1 मार्च से ही शहर के तमाम लोगों और संस्थाओं को गिलोय वटी और गिलोय रस मुफ्त में बांटना शुरू कर दिया। 25 मार्च को लॉकडाउन लगने के बाद तो जैसे दिन रात लोगों को अतिआवश्यक उपकरण उपलब्ध कराने का काम उनका मिशन बन चुका था। इनका निवास स्थान श्यामला कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी का प्रिमाइजेज इन सामानों के डिस्ट्रब्यूशन का एक अड्डा बन गया। यहाँ ना सिर्फ जरूरतमंद आने लगे, बल्कि इनके बारे में सुनकर बीएमसी के कई अस्पतालों के प्रमुखों और पुलिस स्टेशनों के इंचार्ज भी इन से मदद मांगने लगे। कई पुलिस अधिकारियों, अस्पतालों और यहाँ तक कि सेंट्रल रेल्वे भी इन्हें “Corona Warrior” के प्रशस्ति पत्र से नवाज चुकी है। लॉकडाउन लगने से अब तक इन्होंने अपने ट्रस्ट तथा अन्य समाजसेवियों के आर्थिक सहयोग से एक करोड़ से भी ज्यादा की कीमत के साजो-सामान लोगों में बांटें हैं और यह सिलसिला अब भी अनवरत जारी है। हमारे संवाददाता आनंद मिश्र ने उनसे इसी मुद्दे को लेकर बात की प्रस्तुत है मुख्य अंश
सवाल: आपने कब से साजो-सामान वितरित करना कब शुरू किया ?
जवाब: जिस तरह से पूरी दुनिया में एक-एक करके सभी देश लॉकडाउन लगाते जा रहे थे और लोगों से घरों में रहकर अपनी-अपनी इम्यूनिटी मजबूत करने की अपील करने लगे थे, तभी मैंने यह समझ लिया कि यही देर सबेर हमारे यहाँ भी दोहराई जाने वाली है। इसलिए मैंने अपने भारत मर्चेंट्स चेम्बर (Bharat Merchants’ Chamber) ट्रस्ट के मार्फत लोगों को 1 मार्च से ही मुफ्त में गिलोय वटी और गिलोय रस बांटना शुरू कर दिया। 22 मार्च को जब प्रधान मंत्री ने जनता कर्फ्यू का आवाहन किया तो हमने साजो-सामान के स्टॉकिस्ट और सप्लायरों से काफी सारा स्टाक मंगाकर अपने पास जमा कर लिया और लोगों में बांटना शुरू कर दिया। फिर क्या था, “लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया” वाली बात चल पड़ी। हमारे चेम्बर के कई साथी तथा अन्य व्यापारीगणों ने दिल खोलकर डोनेशन दिया जिसकी बदौलत हम एक करोड़ रुपये से ज्यादा के मेडिकल इक्विपमेंट्स तथा अन्य खाद्य साजो सामान लोगों के बीच बांटने में सफल रहे हैं।
सवाल: आपने क्या-क्या चीजें बांटी और क्या सिलसिला अभी भी जारी है?
जवाब: हमने सबसे पहला काम बीएमसी के अस्पतालों को पीपीई किट, थ्री-प्लाई मास्क, सैनिटाइजर, ग्लव्स, इंफ्रारेड थर्मामीटर आदि बांटने से शुरू किया। जब लोगों को पता चला तो पुलिस स्टेशन के अधिकारी भी हमसे इन सभी चीजों को मांग कर अपने-अपने पुलिस स्टेशनों में ले गए। जब बात मेरे जान पहचान के व्यापारी लोगों तक पहुंची तो उन्होंने हमें डोनेशन देना शुरू किया। हमारे काम का दायरा बढ़ता गया। ना जाने कितने व्यापारीगणों ने तो सीधा सप्लायर्स को ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर कर दिया। जबकि वे चाहते तो हमारे ट्रस्ट “भारत मर्चेंट चेंबर” को अपना डोनेशन दे सकते थे जिससे उन्हें इनकम टैक्स के सेक्शन 80-जी के तहत बेनिफिट भी मिलता। परंतु इन सबमें वक्त लगता और इसीलिए सभी लोगों ने इन सबसे ऊपर उठकर समय रहते मानवता की सेवा करना ज़्यादा जरूरी समझा।
सवाल: जब लॉकडाउन था तो लोगों को आपके काम के बारे में कैसे पता चला?
जवाब: अच्छे काम की खुशबू अपने आप फैलती है। जो भी जरूरतमंद चाहे वह बीएमसी के अधिकारी रहे हों या पुलिस के अधिकारी, जब हमसे सामान लेकर जाते थे तो अपने सहकर्मियों और सर्कल को भी इसके बारे में बताते थे। तो फिर वह हमारा पता पूछ कर हमारे पास आने लगे। हमारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच हो इसके लिए चार जगहों से इन सामानों बांटा जाता रहा है, जिसमें मेरा दहिसर स्थित घर प्रमुख सेंटर है। इसके अलावा हमारे ट्रस्ट के अध्यक्ष योगेंद्र राजपुरिया का विले-पार्ले स्थित घर भी है जहां से गरम पानी की मशीनें, भाप लेने की मशीनें बांटी जा रही है। इसके अतिरिक्त बोरीवली, मलाड और ट्रस्ट के कालबा देवी स्थित ऑफिस से भी जरूरी साजो-सामान वितरित किए जा रहे हैं। बहुत सारे थर्मामीटर, पल्स ऑक्सीमीटर, हॉट वॉटर डिस्पेंसर हमारे यहां अभी भी पड़े हैं और जिनको जरूरत होती है आकर ले जाते हैं।
सवाल: आपने क्या-क्या उपयोगी आइटम वितरित किए?
जवाब: हमने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टेबलेट, पीपीई किट, पल्स ऑक्सीमीटर, फोर-लेयर मास्क, हॉट वॉटर डिस्पेंसर मशीन, 3-प्लाई फेस मास्क, हैंड ग्लव्स, सैनिटाइजर, मल्टीविटामिन टेबलेट, इंफ्रारेड थर्मोमीटर, फेस शील्ड, फूड ग्रेन किट, स्टीम इनहेलर मशीन, होम्योपैथिक मेडिसिन, गिलोय वटी, A-2 कॉउ मिल्क, बेटाडिन गार्गल सिरप, सेलीन 500, फूड पैकेट, ब्लड प्रेशर चेकिंग मशीन, सेनिटाइजर स्टैंड, UV बॉक्स, बिस्कुट आदि बांटे हैं जिनमे से कुछ अब भी बांटे जा रहे हैं। इसमें A2 काऊ मिल्क के 1 किलो वाले 4 टन पैकेट लोगों में लगातार 2 महीने तक बांटी गई। इस मिल्क को हमारे भाई नवीन पंसारी ने ऑस्ट्रेलिया से इंपोर्ट किया था। इसके अलावा हमारे कई अन्य भाइयों ने यह साजो सामान डायरेक्ट सप्लायर से खरीद कर हमारे यहां भेज दिया और हमारे वॉलिंटियर और ट्रस्ट के लोगों ने इसकी सप्लाई की। ज्यादातर लोग आकर खुद हमारे यहां से ले गए जबकि कइयों को हमने खुद पहुंचाया। यह सिलसिला अभी चल रहा है और यह तब तक चलता रहेगा जब तक हमारे व्यापारी दानदाता आगे बढ़कर हमें सहयोग देते रहेंगे।
सवाल: एक बिजनेसमैन होने के नाते बताइए कि लॉक डाउन का व्यापारियों पर क्या प्रभाव पड़ा है?
जवाब: सारे व्यापारी बुरी तरह टूट गए हैं। उनकी बैलेंस शीट आधी हो गई है और दुख तो यह है कि आगे भी अंधकार ही अंधकार दिख रहा है। जब तक इस बीमारी की कोई वैक्सीन, मेडिसिन मार्केट में नहीं आ जाती या जब तक वायरस खुद कमजोर नहीं हो जाता है, तब तक यह माहौल यूं ही बना रहेगा। सरकार के 20 लाख करोड़ के पैकेज का असर दिखने में काफी वक्त लगेगा परंतु यह भी सच है कि उस पैकेज का फायदा छोटे और मध्यम वर्ग के व्यापारीगण को नहीं मिलने वाला है। हमारे यहां साउथ मुंबई में सोमवार से मार्केट शुरू होने वाला है तब देखते हैं कि व्यापार या मार्केट कैसा रिएक्ट करता है।
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