संतोष कुमार झा/ मुजफ्फरपुर (बिहार)। कोरोना संकट के बीच बिहार लौटने वाले मजदूरों को लेकर बेहद आपत्तिजनक पत्र लिखने वाले बिहार पुलिस मुख्यालय ने फजीहत के बाद यू-टर्न मारा है। एक लाइन के इस पत्र में कहा गया है कि पहले वाला पत्र भूलवश जारी हो गया था।
एडीजी लॉ एंड आर्डर की नयी चिट्ठी
बिहार के एडीजी लॉ एंड आर्डर ने 5 जून को आनन फानन में नया पत्र जारी किया है।पत्र में कहा गया है कि 29 मई को जारी किया गया पत्र भूलवश जारी किया गया था, इसे वापस लिया जा रहा है। दरअसल बिहार पुलिस के ADG (लॉ एंड आर्डर) अमित कुमार ने सूबे के सभी डीएम-एसपी को एक पत्र भेजा था। एडीजी ने पत्र में कहा था कि बिहार में प्रवासी मजदूरों की भारी आमद होने क बाद विधि व्यवस्था को लेकर गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। इस पत्र की कॉपी बिहार के सारे आलाधिकारियों को भेजी गयी थी। जाहिर है बिहार सरकार को इस पत्र की जानकारी थी। किसी अधिकारी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। लिहाजा ये माना जा रहा था कि सारे अधिकारी इससे सहमत थे।
क्या था बिहार पुलिस के लेटर का मजमून
एडीजी लॉ एंड आर्डर अपने पत्र में लिखा था…“पिछले दो महीने में बिहार राज्य में भारी संख्या में लोग आये हैं। जो दूसरे राज्यों में श्रमिक के रूप में काम कर रहे थे। गंभीर आर्थिक चुनौतियों के कारण वे सभी परेशान और तनावग्रस्त हैं। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद उन सबों को बिहार में रोजगार मिल पाने की संभावना कम है। इस कारण वे अपना खर्च जुटाने के लिए अनैतिक और विधि विरूद्ध काम में शामिल हो सकते हैं। इससे अपराध में वृद्धि हो सकती है और विधि व्यवस्था पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ये समस्या व्यापक पैमाने पर उत्पन्न हो सकती है।”
बिहार पुलिस मुख्यालय ने सारे जिलाधिकारियों और एसपी को कहा था कि वे प्रवासी मजदूरों से उत्पन्न होने वाली समस्या से निपटने के लिए रणनीति तैयार कर लें। ताकि समय पड़ने पर तत्काल एक्शन में आया जा सके।
नीतीश सरकार के इरादों की खुली पोल
दो दिन पहले नीतीश कुमार जनता के नाम संदेश में कहा था कि बिहार के लोगों को प्रवासी मजदूर क्यों कहा जा रहा है। पिछले एक महीने से नीतीश कुमार ये लगातार दावे कर रहे हैं कि बिहार आने वाले हर मजदूर को यहीं काम दिया जायेगा। लेकिन बिहार पुलिस मुख्यालय के एक पत्र ने उनके सारे दावों की पोल खोलकर रख दी है। बिहार सरकार मान रही है कि वह साभी मजदूरों को काम नहीं दे सकती है। सबसे बड़ी बात ये कि अपने ही घऱ में बिहार के प्रवासी मजदूरों को खतरा माना जा रहा है। बिहार पुलिस मुख्यालय का यह पत्र नीतीश सरकार के लिए भारी परेशानी का सबब बन गया है।
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