साभार/ नई दिल्ली। दिल्ली (Delhi) की जहरीली हवा (Toxic Air) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) नाराज है। उसने इस स्थिति को इमरजेंसी से भी बदतर बताया और कहा कि इससे बेहतर इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के कार्यकाल की इमरजेंसी थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ऑड-इवन (Odd-Even) के फॉर्मूले पर भी सवाल खड़े किए हैं और पूछा है कि इससे क्या फायदा होगा? इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को शुक्रवार तक ऑड-इवन लागू करने से होने वाले फायदों से जुड़ा डेटा सुप्रीम कोर्ट में पेश करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऑड-इवन की बजाए सरकार को डीजल गाड़ियों पर बैन लगाना चाहिए था। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि आप कार पूल (Car Pool) करने वालों को इंसेंटिव दे सकते हो। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकारों को दोषी ठहराया है और कहा है कि इसके लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। सभी की सभी… वे केवल चुनावी राजनीति में रुचि लेती हैं। राज्य सरकारों ने सभी जगहों पर मजाक बना रखा है. हम अब उन्हें ऊपर से नीचे तक जिम्मेदार ठहराने जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर प्रशासन को प्रदूषण रोक पाने में नाकाम रहने के लिए फटकार लगाई है और कहा है कि उन्होंने लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया है। इस मसले पर एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार के एफिडेविट (Affidavit) में बताया गया है कि पंजाब (Punjab) में पराली जलाए जाने के मामलों में करीब 7% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, वहीं हरियाणा (Haryana) में पराली जलाए जाने के मामले में 17% की कमी आई है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि कई सारे अध्ययनों में यहां की हवा के बहुत खराब हो जाने के चलते लोगों को दिल्ली छोड़कर जाने और यहां न लौटने की सलाह दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगले आदेश तक दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में कोई भी निर्माण कार्य नहीं करवाया जा सकेगा।इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सभी गैर-जरूरी उद्योगों को भी कुछ समय के लिए बंद रखने को कहा है।
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