रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में चास मेन रोड स्थित सवा सौ वर्षों से अधिक पुराने नीम के हरे पेड़ को कुछ स्वार्थी तत्वों ने अपने छोटे स्वार्थ की पूर्ति हेतु चास नगर निगम के सहयोग और वन विभाग से सहमति प्राप्त कर कटवा दिया। जिसका इस क्षेत्र के पर्यावरण पर न सिर्फ प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि रहिवासियों की आस्था पर भी आघात हुआ है।
इस पूरे क्षेत्र की पहचान उक्त नीम पेड़ से होती थी। साथ ही रहिवासी इसे ऑक्सीजन प्लांट के नाम से भी पुकारने लगे थे।
ज्ञात हो कि जहां यह पेड़ था, उस इलाके में सघन आबादी के साथ ही सैकड़ों छोटी बड़ी दुकानें हैं। परन्तु यहां इने गिने ही पेड़ हैं। राहगीरों सहित पक्षियों को भी इस नीम पेड़ से बहुत राहत थी। इस पेड़ को कटवाकर पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचाया ही गया है, साथ साथ हरे पेड़ को काटकर अपराध भी किया गया है। इससे भी बड़ी गलती यह की गई है कि पेड़ के कटे हुए भाग को महीनों से मेन रोड के किनारे ही छोड़ दिया गया है। जिसके कई कटे टुकड़े सड़क पर भी पड़े हुए हैं।
इसके कारण इस अति व्यस्त सड़क पर राहगीरों के आवागमन में अत्यंत कठिनाई हो रही है तथा आयेदिन जाम लग जा रहा है। उपरोक्त पूरे प्रकरण को लेकर स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण संस्थान का सात सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल संस्थान के महासचिव शशि भूषण ओझा उर्फ मुकुल ओझा के नेतृत्व में 28 मई को चास नगर निगम के अपर नगर आयुक्त संजीव कुमार सिंह के नाम लिखित ज्ञापन के साथ उनकी गैर मौजूदगी में निगम की सहायक नगर आयुक्त प्रियंका को सौंपा।
प्रतिनिधिमंडल ने सहायक नगर आयुक्त से मिलकर नीम पेड़ के काट दिए जाने के औचित्य पर सवाल उठाया तथा इसे गैर जरूरी बताते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की। साथ ही यह आग्रह किया कि महीना दिन से भी अधिक पहले से यह पेड़ काट कर मेन रोड पर छोड़ दिया गया है। जिस कारण इस व्यस्त सड़क पर हमेशा जाम लग रहा है। यह भी सरासर अनुचित है। कहा गया कि उक्त पेड़ के टुकड़ों को जल्द से जल्द सड़क पर से हटाया जाए।
सहायक नगर आयुक्त द्वारा प्रतिनिधिमंडल को जल्द समस्या निदान का भरोसा दिया गया। ज्ञापन की प्रति उपयुक्त बोकारो, उप विकास आयुक्त बोकारो और एसडीओ चास को भी प्रेषित की गई है। इस अवसर पर पर्यावरण वीद मुकुल ओझा ने नगर प्रशासन से पर्यावरण प्रदूषित करने वाले पर कार्रवाई की मांग की है। सात सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल में रघुवर प्रसाद, शशि भूषण ओझा ‘मुकुल’, मृणाल कांत चौबे, विजय प्रसाद गुप्ता, वीरेंद्र चौबे, लक्ष्मण प्रसाद और अक्षय दुबे शामिल थे।
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