ग्रीष्म शिविर में छात्रों ने सीखा भाषा के माध्यम से एकता का संदेश

सिद्धार्थ पांडेय/चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम)। पश्चिम सिंहभूम जिला के हद में केन्द्रीय विद्यालय मेघाहातुबुरु में भारतीय भाषा ग्रीष्म शिविर के अंतर्गत ओड़िया भाषा पर केन्द्रित विशेष सत्र का आयोजन किया गया। सत्र में बड़ी संख्या में छात्र-छात्रा शामिल हुए।

विद्यालय के प्राचार्य डॉ आशीष कुमार के नेतृत्व और मार्गदर्शन में आयोजित इस शिविर में छात्रों ने ओड़िया भाषा की बुनियादी संरचना से लेकर उसके गीत, कविताएं, लोकोक्तियाँ और लोककथाओं तक की सांस्कृतिक यात्रा का अनुभव किया। इस ग्रीष्मकालीन शिविर का उद्देश्य भारत की भाषाई विविधता को समझना, सम्मान देना और छात्रों को अपनी जड़ों से जोड़ना था।

प्राचार्य ने उद्घाटन सत्र में कहा कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान और एकता की आत्मा है। ऐसे शिविर छात्रों में न केवल भाषाई कौशल बढ़ाते हैं, बल्कि उनमें विविध संस्कृतियों के प्रति सम्मान भी जगाते हैं। शिविर की शुरुआत ओड़िया वर्णमाला से की गयी, जहाँ छात्रों ने बुनियादी अक्षरों को पहचानने और उच्चारण करने का अभ्यास किया।

इसके बाद ओड़िया लोकगीतों और बाल साहित्य पर आधारित गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिनमें छात्रों ने भागीदारी निभाते हुए कविता पाठ, लोककथा वाचन, संवाद-अभिनय तथा पोस्टर निर्माण जैसी रचनात्मक प्रस्तुतियाँ दीं। इस आयोजन में छात्रों को यह सिखाया गया कि भाषा के माध्यम से हम किसी भी क्षेत्र की संस्कृति, सोच और जीवनशैली को समझ सकते हैं। ओड़िशा की समृद्ध साहित्यिक विरासत, पारंपरिक संगीत, कथाओं और मुहावरों के माध्यम से छात्रों ने भाषा और संस्कृति के बीच के रिश्ते को गहराई से महसूस किया।

शिविर की समापन प्रस्तुति में छात्रों ने एक स्वर में कहा कि भाषा अनुभव के माध्यम से ही हम एकता के सूत्र में बंध सकते हैं। इस अवसर पर विद्यालय के सभी शिक्षकगण, अभिभावक एवं स्थानीय जन समुदाय उपस्थित थे। केन्द्रीय विद्यालय मेघाहातुबुरु द्वारा किया गया यह प्रयास न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक नवाचार है, बल्कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को साकार करने की दिशा में एक सशक्त पहल भी है।

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