सुहागिनों ने पति की लंबी आयु को लेकर की वट वृक्ष के नीचे पूजा

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। वट सावित्री व्रत के अवसर पर बोकारो जिला में जगह जगह सुहागिन महिलाओं ने पतियों के दीर्घायु होने के लिए पूजा अर्चना की।

इसी क्रम में 26 मई को बोकारो जिला के हद में बेरमो अनुमंडल के जारंगडीह स्थित बनासो मंदिर मे हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सुहाग की लंबी आयु का पर्व वट सावित्री पूजा के मौके पर महिलाओं की काफी भीड़ देखी गई। बताया जाता है कि आज के दिन सुहागिन महिलाओं ने अखंड सौभाग्यवती होने और पति के दीर्घायु होने के लिए वट वृक्ष की पूजा की।

इस दौरान महिलाओं ने बरगद के पेड़ में रंगीन कच्चा धागा बांधकर वट वृक्ष की परिक्रमा की। सभी महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगा कर खुशी का इजहार की। कहा जाता है कि भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिए माता लक्ष्मी ने भी आज के दिन वट वृक्ष की पूजा कर भगवान विष्णु को खुश किया था। इसलिए सुहागिन महिलाएं भी आज के दिन यह पूजा करती हैं।

ज्ञात हो कि बनासो मंदिर के अलावा, मनसा नगर,16 नंबर, माइनस क्वार्टर, अपर बांग्ला, महाप्रबंधक कार्यालय कथारा मे स्थित वट वृक्ष के निचे सुबह से ही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती नजर आई। इस दौरान महिलाओं ने अपने पति के सुहाग को अमर रहने की कामना की। वनासो मंदिर में कपिलदेव पंडित, संजू पंडित, प्रकाश पंडित द्वारा सभी सुहागिन महिलाओं ने कथा भी सुनी।

बताते चले कि इस मौके पर बरगद के पेड़ के नीचे सुहागिन महिलाओं का हुजूम रहा। कथा के अनुसार पति वर्ता स्त्री सावित्री ने अपने पति का प्राण हरने आए यमराज से जिद्द कर वट वृक्ष के निचे ही अपने पति के प्राण वापस लौटा लिया था। उसी पौराणिक कथाओं पर आज भी महिलाएं व्रत कर वट वृक्ष की पूजा करती हैं और पति के सुहाग को अमर रहने की कामना करती हैं।

दूसरी मान्यता यह भी है कि भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिए माता लक्ष्मी ने भी आज के दिन वट वृक्ष की पूजा कर भगवान विष्णु को खुश किया था। पौराणिक कथानुसार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष पूजन किया था,भगवान विष्णु ने इस पूजा से खुश होकर माता लक्ष्मी को वरदान दिया और कहा कि जो भी सुहागिन महिला वट वृक्ष के नीचे मेरी आराधना करेगी, उसका व्रत सफल होगा। पंडितो के अनुसार वट सावित्री पूजा के दिन वट वृक्ष का पूजन-अर्चन करने का विधान है। व्रत करने से सौभाग्यवती महिलाओं की मनोकामना पूर्ण होती है और उनका अखंड सौभाग्य माना जाता है।

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