सारण के तीन नर्सिंग कर्मियों को मिला फ्लोरेंस नाइटेंगल नर्स अवार्ड

नर्सिंग कर्मियों को स्वास्थ्य मंत्री ने दिया 10 हजार नगद और प्रशस्ति पत्र

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सेवा, समर्पण और करुणा का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय नर्सेज दिवस (12 मई) पर सारण जिले की तीन नर्सिंग कर्मियों को फ्लोरेंस नाइटेंगल नर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया। राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने सारण जिला मुख्यालय छपरा सदर अस्पताल की जीएनएम मोनिका, गड़खा प्रखंड के बसंत एपीएचसी की एएनएम कविता कुमारी और हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर प्रतापपुर दरियापुर के सीएचओ नंदन कुमार को यह सम्मान प्रदान किया।

फ्लोरेंस नाइटेंगल की स्मृति में मनाए जाने वाले इस दिवस पर इन नर्सिंग कर्मियों का सम्मान न केवल उनके कार्य को पहचान देने वाला है, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवा में लगे हजारों कर्मियों के लिए प्रेरणा स्रोत भी है। अवार्ड के रूप में उपरोक्त नर्सिंग कर्मियों को ₹10,000 की नगद राशि, प्रशस्ति पत्र और सम्मान चिह्न (मेडल) प्रदान किया गया। तीनों स्वास्थ्य कर्मियों को यह सम्मान स्वास्थ्य और नर्सिंग क्षेत्र में निःस्वार्थ सेवा, समर्पण भाव और समाज में सकारात्मक प्रभाव के लिए प्रदान किया गया है।

गौरतलब है कि बिहार राज्य फ्लोरेंस नाइटिंगेल नर्स अवार्ड एक प्रतिष्ठित राज्य स्तरीय सम्मान है, जो नर्सिंग व प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में उत्कृष्ट योगदान देने वाले नर्सों व स्वास्थ्य कर्मियों को प्रदान किया जाता है। यह अवार्ड फ्लोरेंस नाइटिंगेल की स्मृति में दिया जाता है जो आधुनिक नर्सिंग सेवा की जननी मानी जाती है।

सारण के सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने 14 मई को बताया कि पुरस्कृत कर्मियों ने मरीजों की न केवल चिकित्सा सेवा की, बल्कि उन्हें भावनात्मक संबल भी दिया। उनकी पहचान समय पर ड्यूटी पर आना, मुस्कुराते हुए सेवा करना और हर मरीज को आत्मीयता से देखना रहा है। यह केवल कर्तव्य नहीं, बल्कि समाज को नई दिशा देने वाला संवेदनशील दायित्व है, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया है। उन्होंने कहा कि मरीज को शीघ्र और सही उपचार दिलाने के लिए डॉक्टर और नर्स के बीच बेहतर संवाद आवश्यक होता है।

उन्होंने मरीजों को चिकित्सा के साथ-साथ मानसिक सहयोग, सहानुभूति और उचित मार्गदर्शन देने पर विशेष ध्यान दिया। उनका मानना है कि रोगी को केवल दवा नहीं, बल्कि प्यार, धैर्य और आश्वासन की भी ज़रूरत होती है। जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेशचंद्र कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा तय की गई रणनीति के तहत नजदीकी क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार, रोग की पहचान, टीकाकरण और नियमित जांच सुविधा उपरोक्त कर्मियों के माध्यम से सुलभ कराई जा रही है। खासकर ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में इनकी पहुंच से समय रहते इलाज, बीमारी की रोकथाम और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा मिल रहा है।

बताया कि संचालित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर प्रशिक्षित सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी लगातार जन जागरूकता, स्वास्थ्य परामर्श और बुनियादी उपचार के माध्यम से ग्रामीणों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं की नई पहचान बना रहे हैं। यह केंद्र सामान्य बीमारियों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं की देखभाल, बच्चों के टीकाकरण और कुपोषण की रोकथाम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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