“ममता के मंदिर की है, तू सबसे प्यारी मूरत”
भगवान नजर आता है, जब देखें तेरी सूरत
मुश्ताक खान/मुंबई। “मां के जैसा ना कोई था, ना है और ना ही होगा” किसी शायर ने क्या खूब लिखा है, ममता के मंदिर की है, तू सबसे प्यारी मूरत, भगवान नजर आता है, जब देखें तेरी सूरत, हर साल मई माह के दूसरे रविवार को ‘मदर्स डे’ मनाया जाता है, गीतकार मनोज मुंतशिर की भाषा में कहा जाए तो मां को बनाकर भगवान बेरोजगार हो गया क्योंकि मोहब्बत, हिफाज़त और बरकत का काम जो अब तक खुदा करता था, वो अब मां करने लगी है। मां का प्रेम अनमोल होता है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। मां तो अक्सर अपने बच्चों का माथा चूमकर अपनी भावनाओं को व्यक्त कर देती हैं लेकिन हम कभी भी अपनी मांओं को ‘थैंक्स’ नहीं कह पाते हैं, अगर आपके साथ भी ऐसा है तो बिल्कुल देर ना करें, आज से बेहतर दिन आपको अपनी मां को शुक्रिया कहने का नहीं मिलेगा।
मदर्स डे को यादगार बनाने के लिए जिला सूचना कार्यालय, ठाणे मनपा में, जिला पत्रकार संघ, शहर दैनिक पत्रकार संघ और जिला सूचना कार्यालय की ओर से रविवार 11 मई को अभिनव तरीके से मनाया गया। इस कार्यक्रम में जीवनदायिनी माँ के साथ-साथ जीवन की सच्ची पालनहार प्रकृति का भी सम्मान किया जाएगा। इस पहल का मुख्य उद्देश्य मदर्स डे की पारंपरिक अवधारणा को व्यापक बनाकर प्रकृति के महत्वपूर्ण योगदान को उजागर करना है।
इस कार्यक्रम से पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ने तथा उस दिशा में पहल करने की प्रेरणा मिलने की उम्मीद है। इस पर बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली और पर्यावरण विशेषज्ञ विजयकुमार कट्टी ने विशेष मार्गदर्शन किया। वहीं जिला सूचना अधिकारी मनोज सुमन शिवाजी सानप, ठाणे जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष संजय पितले, ठाणे शहर दैनिक पत्रकार संघ अध्यक्ष आनंद कांबले, वरिष्ठ पत्रकार कैलास म्हापदी, वरिष्ठ पत्रकार दीपक दलवी, ठाणे सिटी हाउसिंग सोसाइटी फेडरेशन के अध्यक्ष कस्बर ऑगस्टीन, भरत अनिखंडी, महेंद्र मोने, श्री मिस्त्री, भाऊ कांबले, आसरा फाउंडेशन के मोहन शिरकर, अमन कोइरी, एमएसीओ बैंक के सहदेव बाने, पर्यावरणविद वालावलकर और बड़ी संख्या में नागरिक व पत्रकार उपस्थित थे।
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