अपनी जमीन पर पीएम आवास बनाना अपराध है क्या-युनूस

बाहरी बताकर खुद दिखाए दबंगई व् उठाया जा रहा है एससी एसटी का लाभ

प्रहरी संवाददाता/गोमिया (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में गोमिया विधानसभा क्षेत्र के अइय्यर गांव में एक जमीनी विवाद का मामला उस समय प्रकाश में आया जब एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष के विरुद्ध एससी/एसटी थाना में मामला दर्ज करवाने व न्याय दिलाने की मांग की गयी। प्रथम पक्ष द्वारा दुसरे पक्ष पर जबरन जमीन हड़पने, मारपीट करने आदि का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करवाया गया है।

इधर दुसरे पक्ष के परिवार के मुखिया मो. युनूस अंसारी तथा उनका दो भतीजा तफजुल अंसारी और तनवीर ने 11 मई को मिडिया के समक्ष उक्त जमीन विवाद से पुरा पर्दा हटाने का प्रयास किया गया। उपरोक्त ने मिडिया को बताया कि जो परिवार आठ पिढ़ी से यहां रह रहा हो आज उसे बाहरी बताकर मामले को सुलझाने की कोशिश की जा रही है।

दूसरे पक्ष के रैयत यूनुस ने बताया कि दरअसल वे बोकारो जिला के हद में गोमिया प्रखंड के ललपनिया स्थिति तेनुघाट थर्मल पावर प्लांट के विस्थापित है। यहां से विस्थापन के बाद लगभग 9 एकड़ भूमि भूदान योजना के तहत विस्थापितों को इस क्षेत्र में दिया गया था। उसी का यह एक टुकड़ा है, जिसे आदिवासी पक्ष अपना बता रहे हैं और उन्हें आवास बनाने से जबरन रोका जा रहा है। बताया कि हथियारों से लैस होकर कार्य स्थल पर आते हैं तथा गाली गलोज व् मारपीट करते हैं।
बताया गया कि उक्त जमीन का खाता संख्या 57 प्लांट संख्या 236 तथा रकबा 54 डिसमिल है।

बताया गया कि यहां पीएम आवास योजना के तहत आवास का निर्माण होना है, मगर जब भी निर्माण कार्य शुरू किया जाता है प्रथम पक्ष पहुंचकर आकरण हंगामा करने के साथ साथ मारपीट करते है और बनाये गये दिवारों को गिरा देते हैं। कहा गया कि पुर्व मे भी गोमिया के प्रखंड विकास पदाधिकारी को आवेदन देकर काम रोक दिया गया था, मगर भू-मापी के बाद साफ हुआ कि उनकी जमीन आवास निर्माण स्थल से काफी दुर है। मगर जबरन बल पुर्वक काम रोक दिया जाता है।

पीड़ित युनूस और उनके परिजनों के अनुसार बीते दिनों भी कुछ इसी तरह की घटना घटी। कार्य स्थल पर अचानक प्रथम पक्ष के दर्जनों समर्थक आ धमके और मारपीट शुरू कर दी, जिसमे दूसरे पक्ष के तफजुल और मुनेजा खातुन बुरी तरह घायल हो गये। जिसका लिखित आवेदन उन्होंने ललपनिया थाना को दिया है। बताया कि यह भुमि भूदान योजना के तहत उनके पूर्वजों को मिला था। वे आठ पिढ़ीयो से यहां निवास कर रहे हैं और उन्हें बाहरी और नामालूम क्या क्या कहा जा रहा है।

यूनुस ने बताया कि हमारे पास जमीन के सारे कागजात है। इस आधार पर हमे पीएम आवास योजना का लाभ मिला है, मगर आदिवासी परिवार अपनी दबंगई के दम पर गैरकानूनी काम कर रहे है और फर्जी मामला बनाकर हम सभी को फंसाने का काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं एससी/एसटी एक्ट की ताकत का गलत तरीके से इस्तेमाल कर जबरन हमारी जमीन कब्जाना चाह रहे हैं। कहा कि इस मामले को लेकर वे गोमिया के विधायक सह मंत्री योगेंद्र प्रसाद से भी मिल चुके है और उनके निर्देश पर ही स्थानीय थाना द्वारा पहल किया गया। मगर प्रथम पक्ष कुछ भी मानने को तैयार ही नहीं है।

सवाल उठता है कि जिन विस्थापितों को भूदान योजना के तहत 1932 मे जमीन मिली है, वह जमीन भला अब उनका कैसे हो गया। युनूस के परिजनों ने दावा किया कि अगर प्रथम पक्ष के पास उक्त जमीन के कागजात है तो प्रशासन के समक्ष क्यो नहीं रखते है। जबकि उनके पास उक्त भूमि की रशीद तक मौजूद हैं। कुल मिलाकर अगर इसी तरह यह विवाद गहराता रहा तो बात और भी बिगड़ सकती है। प्रशासन को जल्द से जल्द इस मामले में पहल करने की जरुरत है।

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