पाक प्रायोजित नरसंहार के खिलाफ मेघाहातुबुरु में फूटा जनाक्रोश

सिद्धार्थ पांडेय/चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम)। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों द्वारा धर्म पूछकर की गई 26 निर्दोष हिंदुओं की नृशंस हत्या के विरोध में झारखंड के सीमावर्ती औद्योगिक क्षेत्र मेघाहातुबुरु में जनसैलाब उमड़ पड़ा।

मजहब के नाम पर बर्बरता और नरसंहार की इस घटना से आहत स्थानीय रहिवासियों ने भारी आक्रोश के साथ बीते 24 अप्रैल की देर संध्या कैंडल मार्च निकाला। यह मार्च झारखंड मजदूर संघर्ष संघ कार्यालय से शुरू होकर खदान गेट गोल चक्कर तक पहुँचा।

कैंडल मार्च में सभी धर्मों और समुदायों के अलावा विशेष रूप से महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल हुईं। इस जनजागरूकता के साथ-साथ यह विरोध पाकिस्तान के आतंक पोषण और भारत की असहनीय चुप्पी के विरुद्ध आक्रोश का ज्वार था। पैदल मार्च के दौरान रहिवासी पाकिस्तान मुर्दाबाद, भारत सरकार पाकिस्तान को सबक सिखाओ, आतंक का जवाब बम से दो, अमन के दुश्मनों का खात्मा करो। जैसे गगनभेदी नारे लगाते रहे। सबके चेहरों पर आक्रोश और आँखों में मृतको के लिए श्रद्धा स्पष्ट झलक रही थी।

मार्च समाप्त होने के बाद दो मिनट का मौन रखकर पहलगाम नरसंहार में मारे गए सभी निर्दोष नागरिकों को श्रद्धांजलि दी गई। उपस्थित जनों ने एक स्वर में मांग की कि भारत सरकार अब संविधान और संयम से नहीं बल्कि प्रहार और प्रतिशोध से जवाब दे। मजदूर नेता अफताब आलम ने तीखे भाषण में कहा कि इस्लाम निर्दोष की हत्या को हराम मानता है। ऐसे हैवान आतंकियों के कारण हम मुस्लिम समाज शर्मसार है। भारत सरकार अब कड़ी कार्रवाई करे। पाकिस्तान के भीतर बैठे आतंकियों के ठिकानों को चकनाचूर कर दे। जरूरत पड़ी तो हम भी अपने शरीर में बम बांधकर फाइटर प्लेन से उनके ठिकानों पर गिरने को तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार को अब पीओके पर पूरा नियंत्रण करना चाहिए। वह जमीन भारत माता की है, उसे पाकिस्तान से मुक्त कराना हमारा कर्तव्य है। आतंकवाद से निपटने के लिए हमें केवल नीति नहीं,रणनीति और कठोर कार्रवाई चाहिए। बासू सोय ने कहा कि पहलगाम में जो हुआ वह मानवता पर कलंक है। केंद्र सरकार अब पाकिस्तान को आतंक का गॉडफादर घोषित कर संयुक्त राष्ट्र में भी कड़ा कदम उठाए।

मार्च में शामिल महिलाओं ने भी आतंक के विरुद्ध जमकर गुस्सा जाहिर किया। गीता देवी ने कहा कि हम अब केवल मोमबत्ती नहीं जलाएँगे, हम सरकार से युद्ध स्तर की कार्रवाई की माँग करते हैं। अब समय आ गया है कि हमारी सुरक्षा के लिए पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए। महिलाओं ने कहा हम शहीदों के परिवार के साथ हैं। पर हमें सिर्फ सहानुभूति नहीं, न्याय चाहिए। वह न्याय तब मिलेगा जब आतंक के अड्डों पर भारत बम गिराएगा।

भारत दशकों से संयम और शांति की नीति अपनाता रहा है। मगर यह नरसंहार जिसमें सिर्फ हिंदू होने की सजा दी गई, अब स्पष्ट करता है कि पाकिस्तान भारत की चुप्पी को कमजोरी समझ बैठा है। यह घटना केवल धर्मनिरपेक्षता का नहीं, संप्रभुता का अपमान है। जनता की मांगें जिसमें पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित किया जाए। भारत सरकार पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई करे। पीओके को भारत में शामिल कर आतंक पर प्रहार किया जाए। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की पोल खोली जाए। आतंकी हमला झेलने वाले परिवारों को विशेष पैकेज और सुरक्षा दी जाए।

कैंडल मार्च में मजदूर नेता इंतखाब आलम, मुब्बसर रहमान, आलम अंसारी, दयानंद कुमार, कुलदीप सिंह, जगजीत सिंह गिल, बासू सोय, अब्दुल, नारायण तिरिया, दीपक राम, अशोक पान, कमल प्रसाद, पिंकी गुप्ता, चन्द्रकला, गीता सहित सैकड़ों की संख्या में स्थानीय रहिवासी शामिल हुए।

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