पुलिस के साथ मुठभेड़ में एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रयाग मांझी का अंत

झारखंड सहित कई राज्यों में प्रयाग मांझी था माओवादियों का बड़ा चेहरा

प्रहरी संवाददाता/फुसरो (बोकारो)। झारखंड में नक्सली अभियान को 21 अप्रैल की सुबह बहुत बड़ी सफलता मिली, जब सुरक्षा बलों ने कुख्यात नक्सली प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा को मुठभेड़ में मौत के घाट उतार दिया।

नक्सली प्रयाग मांझी सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि बिहार, छत्तीसगढ़ और ओड़िशा में भी माओवादियों का बड़ा चेहरा था। गिरिडीह का पारसनाथ और बोकारो का लुगू पहाड़ तो उसके नाम से थर-थर कंपता था।

सूत्र बताते हैं कि प्रयाग मांझी भाकपा माओवादी केंद्रीय कमेटी का सक्रिय सदस्य था। वह संगठन के लिए रणनीति भी बनाता था और हमले की तैयारी भी करता था। फिलहाल वह नक्सली गतिविधियों को संगठित करने में लगा था।

नक्सली विवेक दा धनबाद जिला के हद में टुंडी प्रखंड के मानियाडीह थाना क्षेत्र का रहने वाला था। बहुत कम उम्र में ही वह संगठन में शामिल हो गया था। लेकिन उसकी सक्रियता सीमित नहीं थी। वह झारखंड के गिरिडीह, बोकारो, लातेहार, चाईबासा, सारंडा से लेकर बिहार, बंगाल, ओड़िशा और छत्तीसगढ़ तक फैले नक्सली बेल्ट में बरसों तक सक्रिय रहा।

सूत्र बताते हैं कि उसके खिलाफ केवल गिरिडीह में ही 50 से अधिक मामले दर्ज है। माओवादी संगठन में उसकी पहचान एक तेज तर्रार रणनीतिकार के रूप में थी। उसके दस्ते के पास एक-47, इंसास राइफल और कई विस्फोटक मौजूद थे। उसके साथ 50 से अधिक नक्सली थे। महिला माओवादियों का दस्ता भी था, जो अलग-अलग इलाकों में काम करते थे। उसकी तूती कई इलाकों में बोलती थी।

नक्सली विवेक दा की मौत के बाद भाकपा माओवादी संगठन को तगड़ा झटका लगा है। गिरिडीह तथा बोकारो में नक्सली गतिविधियों की कमर टूट गई है। बता दें कि 21 अप्रैल की सुबह झारखंड के बोकारो जिले में हुई भीषण मुठभेड़ में विवेक दा सहित आठ नक्सली मारे गए है। बताया जाता है कि बीते 20 अप्रैल की रात से ही पुख्ता सूचना पर जवानों ने इलाके को घेर रखा था। 21 अप्रैल को तड़के मुठभेड़ शुरू हो गयी। दोनों तरफ से तड़ातड़ गोलियां चल रही थी। अंत में जवान नक्सलियों पर भारी पड़े और एक करोड़ रुपए का इनामी विवेक दा सहित अन्य आठ जिसमें एक महिला नक्सली भी शामिल को मार गिराया।

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