किसान महासभा व् माले टीम ने मजबूर किसानों के टमाटर खेत का लिया जायजा

सैकड़ों क्विंटल तैयार टमाटर खेत में ही छोड़ने को मजबूर है किसान-ब्रह्मदेव प्रसाद सिंह

क्या कृषि पदाधिकारी, मंत्री-एमपी-एमएलए अन्नदाता के खेतों की ओर करेंगे रूख-सुरेंद्र

एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। टमाटर उत्पादन का हब समस्तीपुर जिला के हद में मोतीपुर सब्जी मंडी क्षेत्र में बिक्री के अभाव में किसान टमाटर सड़क किनारे फेंकने या खेत में ही छोड़ने को मजबूर हैं। खेत से टमाटर तोड़ने का मजदूरी एवं मंडी पहुंचाने का भाड़ा या फिर 1 रूपये किलो गद्दी खर्च भी किसानों को अपनी जेब से ही चुकाना पड़ता है। फलस्वरूप खेतों में सैकड़ों क्विंटल तैयार टमाटर खराब हो रहा है।

बाजार की स्थिति देखकर टमाटर उत्पादक किसान किंकर्तव्यविमूढ़ है। किसानों द्वारा लिया गया महाजनी एवं केसीसी कर्ज चुकाने एवं अगली फसल लगाने की चिंता उन्हें खाई जा रही है। इसी बीच अखिल भारतीय किसान महासभा एवं भाकपा माले की संयुक्त टीम 21 अप्रैल को टमाटर की खेती का हब माने जाने वाले मोतीपुर का दौरा कर टमाटर उत्पादक किसानों से मिलकर विस्तारपूर्वक चर्चा किया। इस दौरान खेत भ्रमण कर खेत में छोड़े गये सैकड़ों क्विंटल उच्च कोटि का तैयार टमाटर का मुआयना किया गया।

टमाटर उत्पादक किसान ब्रह्मदेव प्रसाद सिंह ने कहा कि जब टमाटर को मजदूर से तोड़वाकर भाड़ा देकर ठेला या टेम्पू से मंडी पहुंचाने के बाबजूद खरीददार के अभाव में टमाटर फेंकना पड़ता है तो बेहतर है कि खेत में ही सड़-गल जाये। उन्होंने कहा कि मंडी क्षेत्र में न टमाटर रखने वाला कोल्ड स्टोरेज है और न ही कोई टमाटर आधारित कैचप, साॅस, चटनी, अचार उद्योग है। उन्होंने कहा कि अब यहां के किसान टमाटर की खेती छोड़ देंगे। महंगा बीज, खाद, खल्ली, सिंचाई, मजदूरी देकर खेती किए, लेकिन सब समाप्त हो गया। उन्होंने कहा कि अब टमाटर उत्पादक किसान महाजनी एवं केसीसी कर्ज कैसे चुकाएंगे और फिर अगली फसल कैसे लगेगी।

टमाटर लगे खेत भ्रमण के दौरान खेत में सड़-गल रहे टमाटर दिखाते हुए किसान श्याम बाबू सिंह, हरिदेव सिंह, बखेरी सिंह, ललन दास, कृष्णदेव सिंह आदि भावुक हो गये। भाकपा माले ताजपुर प्रखंड सचिव सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने तल्ख़ लहजे में कहा कि क्या कृषि पदाधिकारी किसानों के बेहाल स्थिति को सुधारने के लिए पहल करेंगे। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि चुनाव में किसान हित की बात करने वाले मंत्री, एमपी, एमएलए आदि किसानों के खेत की ओर कब रूख करेंगे?

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