मेष संक्रांति (सतुआनी) पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगायी गंगा-गंडक में डुबकी

बाबा हरिहरनाथ मंदिर में किया गया जलाभिषेक, सूर्य भगवान की पूजा

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला में मेष संक्रांति (सतुआनी) के अवसर पर 14 अप्रैल को लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा-गंडक एवं सरयू नदियों में पवित्र डुबकी लगायी। सौर नव वर्ष के उपलक्ष्य में भगवान सूर्य को ॐ सूर्याय नमः मंत्र जाप करते हुए अर्घ्य दिया। लाल फूल, अक्षत, गुड़ और रोली अर्पण किया।

इस अवसर पर भक्तों ने सारण जिला मुख्यालय छपरा स्थित धर्मनाथ मंदिर, जिला के हद में सोनपुर स्थित बाबा हरिहरनाथ मंदिर सहित सभी शिव मंदिरों में जलाभिषेक किया। यहां बाबा हरिहरनाथ मंदिर में जलाभिषेक करने वाले भक्तों की भारी भीड़ उमड़ आयी।

आमी में अंबिका भवानी और डुमरी बुजुर्ग में काल रात्रि स्थान में भी दर्शन पूजन के लिए भक्तों की भारी भीड़ कतार बद्ध तरीके से माता का दर्शन के लिए जाती दिखी। इसके अलावा अन्य मंदिरों के पास के सड़क किनारे गाड़ियों की लम्बी पंक्ति कतारें खड़ी देखी गयी।

सोनपुर स्थित सूर्य मंदिर के पुजारी अनिल झा ने बताया कि सूर्य देव के मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही 14 अप्रैल को मेष संक्रांति का पर्व घर – घर में मनाया गया। सनातन धर्म में विक्रमी नव संवत्सर के बाद आज के दिन को सौर नववर्ष भी कहा जाता है। जब सूर्य मेष में प्रवेश करता है, तब प्रकृति में एक नई चेतना, नया जीवन और एक नये चक्र की शुरुआत होती है। पेड़-पौधों में नई कोंपलें फूटती है।

मौसम में गर्माहट बढ़ने लगती है और खेतों में नई फसलें तैयार होती हैं। यही वजह है कि मेष संक्रांति को नए जीवन की शुरुआत, आत्मिक उन्नति और शुभ कार्यों के लिए आदर्श समय माना जाता है। वहीं लोकसेवा आश्रम में संत विष्णुदास उदासीन उर्फ मौनी बाबा की ओर से भक्तों को सतुआनी का प्रसाद वितरण किया गया।

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