मुश्ताक खान/मुंबईः एचपीसीएल (HPCL) के ज्ञानी अधिकारियों कि अनदेखी व अज्ञानता का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। पुणे चाकन एलपीजी भराई संयंत्र के मेन गेट के बोर्ड पर एलपीजी (LPG) लिखने के बजाए पीएलजी (PLG) लिखा गया है। बता दें कि इसी रास्ते से हर दिन संयंत्र के अधिकारी व कर्मचारियों का आना जाना है। लेकिन अब तक किसी ने इस बोर्ड को ध्यान से नहीं देखा, ताकि इसे सुधारा जा सके। भारत सरकार हिंदी को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रूपये खर्च करती है। लेकिन ज्ञानी अधिकारियों के पास इसे देखने के लिए समय ही नहीं है।
मिली जानकारी के अनुसार देश कि नव रत्न बहुराष्ठ्रीय केमिकल कंपनीयों के शीर्ष अधिकारियों में हिंदी भाषा का भारी अभाव है। इसका ताजा मिसाल वर्षो से पुणे के म्हलूंगा एलपीजी चाकन भराई संयंत्र में सहज ही देख जा सकता है। यहां हिंदुस्तान पेट्रोलियम एन्ड केमिकल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एच पी सी एल) का रीजनल कार्यालय व एल पी जी बॉटलिंग प्लांट है। पुणे स्थित म्हालुगे इंगले कि चाकन एलपीजी भराई संयंत्र के मेन गेट पर लगे उपरोक्त बोर्ड इन दिनों चर्चाओं का विषय बना है। इसे यहां के ज्ञानी अधिकारियों की अज्ञानता कहा जाए या अनदेखी?
गौरतलब है कि पुणे के चाकन में स्थित एलपीजी रीजनल कार्यालय है और यह के मुख्य क्षेत्रिये प्रबंधक श्रीनिवास राव नल्ली हैं। इस कार्यालय के गेट के सामने लगे बोर्ड को इन्होंने कई बार देखा होगा उस पर साफ शब्दो मे अंग्रेजी भाषा मे चाकन पी एल जी (PLG) बॉटलिंग प्लांट लिखा, यह इस बात कि दलील है कि एच पी सी एल के अधिकारियों में शिक्षा का घोर अभाव है या फिर उनकी लापरवाहियों का नतीजा है। वर्षो से लगे इस बोर्ड पर अब तक किसी की नजर क्यों नही गई? यह अपने आप मे बाद सवाल है। जबकि सरकार हिंदी को बढावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इतना ही नही हिंदी को बढ़ावा देने के लिये सरकार हर साल करोड़ो रुपये का फण्ड भी देती है। इसके बावजूद यहां के अधिकारी राज्य भाषा मराठी या हिंदी के बजाए अंग्रेजी पर अधिक जोर देते हैं। अब अंग्रेजी में भी मुंह की खा रहे है। वर्षो से लगे इस बोर्ड पर शायद किसी की नजर नही पड़ी है। जबकि इसी रास्ते से अधिकारियों व कर्मचारियों का प्रतिदिन आना और जाना लगा रहता है। इसके बावजूद अब तक किसी कि नजर वयों नही पड़ी, यह अपने आप मे नव रत्न वंत्र्पनी के लिए बड़ा सवाल है। इस प्लांट में लेखन, अथवा वाहनों के चालान, गेट पास या अन्य लगभग 95 फीसदी दस्तावेज अंग्रेजी में ही बनते है। इससे जाहिर होता है की यहां भी अंग्रेजी का बोलबाला है और इस प्लांट में कार्यरत ज्ञानी अधिकारियों की भरमार है। इसके बाद भी इतनी बड़ी लापरवाही अधिकारियों की अज्ञानता को दर्शाता है।
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